Bihar: वित्तीय अनियमितता में फंसी संझौली की तत्कालीन CDPO, एक वाहन के तीन मालिक बताकर अलग-अलग भुगतान करने का आरोप
संझौली की तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सरोज हंसदा पर कार्यालय कार्य के लिए वाहन भुगतान में वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। उन्होंने अपने कार् ...और पढ़ें

संवाद सूत्र, संझौली (रोहतास)। संझौली की तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) सरोज हंसदा पर कार्यालय के कार्य के लिए किराए पर लिए गए वाहन के भुगतान के मामले में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा है।
उन्होंने अपने कार्यकाल में एक ही गाड़ी के लिए तीन वाहन मालिकों के खाते में अलग-अलग किराए की राशि भेजी है। हैरत की बात है कि बिहार में दूसरे राज्यों के वाहन परिचालन पर रोक के बावजूद सीडीपीओ द्वारा लगातार झारखंड राज्य से पंजीकृत वाहन का उपयोग किए जाने का मामला भी उजागर हुआ है।
यह खुलासा नोखा के रूपेश कुमार चंद्रवंशी द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में दायर परिवाद में हुआ है। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के फैसले में सीडीपीओ को दोषी पाया गया है।
संझौली की सीडीपीओ सुषमा भेलारिया टोप्पो द्वारा भी दिए गए प्रतिवेदन में तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) सरोज हंसदा किराया का वाहन उपयोग मामले में घिरती दिख रही हैं।
दूसरी तरफ संझौली के मनीष कुमार द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में तत्कालीन सीडीपीओ द्वारा कार्यालय के कार्य के लिए वाहन किराया पर लेने की बात तो स्वीकारी है, लेकिन वाहन मालिक के बारे में सूचना देने से यह कहकर मना कर दिया है कि वे किसी प्रकार के कागजात उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। हालांकि, यह मामला अभी अपील में चल भी रहा है।
क्या है पूरा मामला ?
परिवाद पत्र के मामले में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) संझौली द्वारा 16 नवंबर 2023 को समर्पित अपने पत्रांक 179 में कहा गया है कि 2020-21 में वाहन संख्या जेएचओ पांच एएच- 0302 को वाहन मालिक कमल नारायण सिंह के खाते में जुलाई 20 से नवंबर 20 तक की कुल 102500 राशि भेजी गई है।
दिसंबर 20 से जनवरी 21 तक का 41000 व फरवरी 21 में 20500 रुपए कमल नारायण के खाते में भेजी गई है। इसी गाड़ी का मार्च 21 से जून 21 का भुगतान 82000, जुलाई 21 से जनवरी 22 तक का भुगतान 143500, फरवरी 22 का 17038 एवं 3417, मार्च 22 से जून 2022 तक का 83200 , जुलाई 22 से जनवरी 23 तक का 145600 और फरवरी 23 का भुगतान हर्ष कुमार के खाते में किया गया है।
हैरत की बात है कि इसी वाहन संख्या का मार्च 23 से जून 23 तक का भुगतान वाहन मालिक सुधीर कुमार के खाते में हुआ है। इस प्रकार एक वाहन संख्या का भाड़ा व्यय तीन वर्षो में तीन वाहन मालिकों के नाम पर किया गया है।
वाहन मालिक ने नहीं दिया कागजात तो कैसे हुआ भुगतान
संझौली के मनीष कुमार द्वारा आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) द्वारा स्पष्ट रूप से सूचना दी गई थी कि कार्यालय कार्य के लिए लिए गए वाहन का कागजात वाहन मालिक द्वारा नहीं दिया गया है।
मनीष को यह जवाब 16 नवंबर 22 को तत्कालीन सीडीपीओ द्वारा दी दिया गया था, जबकि नवंबर 22 में किराया का भुगतान सीडीपीओ द्वारा हर्ष कुमार के खाते में किया गया है।
कहती हैं डीपीओ
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश के आलोक में कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) जमुई के झाझा में पदस्थापित हैं। दोषी पाए जाने पर निश्चित कार्रवाई होगी। - रश्मि रंजन, डीपीओ, रोहतास।

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