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    बिहार में एक और पुल पर मंडराया खतरा! कनकई के कटाव से सड़क कटी, नदी में कई घर विलीन

    Updated: Tue, 16 Jul 2024 07:17 PM (IST)

    Bihar Flood News नदियों के जलस्तर में गिरावट होने के बाद कटाव तेज हो गई है। कनकई नदी से हो रहे कटाव की वजह से लोग बेघर हो रहे हैं। दूसरी तरफ आने-जाने का रास्ता भी अवरुद्ध हो गया है। नागरटोली में 15 फीट से ज्यादा लंबाई में सड़क कट चुकी है। वहीं कटाव के चलते नदी पर बने पुल के एप्रोच में कटाव शुरू हो गया है।

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    नदी में समाने की कगार पर मौजूद घर। फोटो- जागरण

    संवाद सूत्र, अमौर (पूर्णिया)। Bihar Flood News नदियों के जलस्तर में गिरावट के साथ ही कटाव की रफ्तार तेज हो गई है। अमौर में कनकई नदी के कटाव से जहां लोग बेघर हो रहे हैं। आवागमन भी अवरुद्ध होने लगा है। प्रखंड के नागरटोली से वैसा प्रखंड को जाने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क नागरटोली में 15 फीट से ज्यादा लंबाई में कट चुकी है।

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    इसी पथ पर सिमराबाड़ी के समीप कनकई नदी पर बने पुल के एप्रोच में कटाव शुरू हो गया है। अत्यधिक गहराई तक कटाव से पुल ध्वस्त भी हो सकता है। इस पथ के बाधित होने से लगभग आठ हजार की आबादी प्रभावित हुई है। किसानों के खेत भी कटने लगे हैं।

    प्रशासन के साथ बाढ़ नियंत्रण विभाग को भी दी जानकारी

    इधर, कटाव की सूचना अंचल प्रशासन के साथ-साथ बाढ़ नियंत्रण विभाग को भी दी गई है। कटाव पीड़ित गांव के समीप एक पुल पर शरण लिये हुए हैं। डहुआबड़ी पंचायत का तालबाड़ी गांव के अस्तित्व अब समाप्त होने वाला है। लगभग पांच साल से यह नाव नदी के निशाने पर रहा है।

    अब तक दो सौ परिवार बेघर हो चुक है। सोमवार की शाम से शुरु हुआ कटाव ने फिर पांच परिवारों के घर को अपने आगोश में ले लिया। इसी तरह ज्ञानडोभ पंचायत के वार्ड नंबर तीन, सात एवं आठ नगर टोली में भी पूर्व से ही चार सौ परिवारों के घर कट चुके हैं। शेष बचे परिवार भी लगातार बेघर हो रहे हैं। मंगलवार को यहां के आठ परिवारों का घर नदी में समा गया।

    मोहर्रम से पहले मातम, दर्द बयां करते ही भर आती है आंखें

    नागर टोली में भी मुहर्रम की तैयारी चल रही थी। आसपास के टोलों में भी इसकी तैयारी चल रही थी। इसी तैयारी में जुटे इजहारूल, मजहरूल, रासुद्दीन, सज्जाद, एल्गन जहीरूद्दीन, फैयाज, समीना, जमशेद, कबीर असलम व नूरसामा आदि के लिए मुहर्रम से पहले ही मातम आ गया। उनके घर नदी में विलीन हो गए। अब वे बारिश के इस मौसम में समय काटने की चिंता में डूब गए हैं।

    फिलहाल, बगल के पुल पर तंबू गड़ा है। छोटे-छोटे बच्चों के साथ बेघर हुए इन परिवारों के लिए अपना दर्द बयां करना भी मुश्किल हो रहा है। दर्द बयां करने से पहले ही आंखें भर आती है। वे उन परिवारों ही दशा भी देख रहे हैं जो एक दशक पहले बेघर हुए थे और आज भी उनकी जिंदगी घूमंतू की तरह कट रही है।

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