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निकला जा रहा बोआई का समय, नहीं मिल रहा किसानों को खाद

उर्वरक की अनुपलब्धता ने रबी किसानों को पसोपेश में डाल दिया है। गांव में कहावत है - वचन चास का हीन हो तो हो लेकिन मास का हीन नहीं हो..। यानि खेत की अगर कम भी जुताई हो तो फर्क नहीं पड़ता लेकिन समय से फसल लगाना अनिवार्य है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 08:23 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 08:23 PM (IST)
निकला जा रहा बोआई का समय, नहीं मिल रहा किसानों को खाद

संस, सरसी (पूर्णिया)। उर्वरक की अनुपलब्धता ने रबी किसानों को पसोपेश में डाल दिया है। गांव में कहावत है - वचन चास का हीन हो तो हो लेकिन मास का हीन नहीं हो..। यानि खेत की अगर कम भी जुताई हो तो फर्क नहीं पड़ता लेकिन समय से फसल लगाना अनिवार्य है। परंतु यहां धमदाहा, बनमनखी में किसान का खेत जोत कर तैयार हैं लेकिन उर्वरक की अभाव में वे अभी तक अपनी खेतों में फसल नहीं लगी है।

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क्षेत्र के किसानों का कहना है कि बाजार में उर्वरक की अनुपलब्धता के कारण इनका किसानी कार्य बाधित हो रही है। अगर सरकारी व्यवस्था के तहत कुछ निर्धारित दुकानदारों के यहां उर्वरक खाद भेजा जाता है तो वह एक ही दिन में खत्म हो जाता है।

बताते चलें कि विगत एक माह से इस क्षेत्र में डीएपी खाद सहित अन्य खाद का अभाव बना हुआ है। प्रशासन के लाख दावे के बावजूद किसानों को खाद उचित मूल्यों पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है जिसके लिए उन्हें खाद दुकानदारों के पास भटकना पड़ रहा है। यहां के उर्वरक विक्रेताओं द्वारा किसानों को यह कह जा रहा है कि अभी तक रैक नहीं लगा है लगने पर बाजार में खाद उपलब्ध हो जाएगी। इधर किसानों को आशंका है कि जब तक बाजार में उर्वरक उपलब्ध होगा तब तक उनका किसानी कार्य का समय समाप्त हो जाएगा। जिसे लेकर कई किसानों द्वारा उर्वरक विक्रेताओं के आगे पीछे चक्कर लगाते हुए निर्धारित मूल्य से ज्यादा चुकता कर खाद खरीद रहे हैं। इसके अतिरिक्त उर्वरक दुकानदारों द्वारा अपनी पसंद के बीजों का प्रयोग करने के लिए किसानों पर दबाव बना रहे हैं।


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