देश भर के मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचेगी 'कान' की फर्जी गूंज; DIG ने बनाई SIT; डीएसपी को मिली कमान
पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर एमबीबीएस में नामांकन लेने के मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। यह मामला देश ...और पढ़ें

प्रमोद कुमार मंडल, डीआइजी, पूर्णिया
राजीव कुमार, पूर्णिया। पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर एमबीबीएस में नामांकन लेने के मामले में जांच की आंच देश के कई मेडिकल कॉलेजों तक पहुंच गई है। मामले की जांच के लिए पूर्णिया के डीआईजी प्रमोद कुमार मंडल ने विशेष जांच टीम यानी एसआईटी का गठन कर दिया है। इ
सकी कमान सदर डीएसपी ज्योति शंकर को सौंपी गई है। आरंभिक जांच में पता चला है कि देश के सरकारी मेडिकल कालेजों में दिव्यांगता कोटे से नामांकन के लिए कान की दिव्यांगता का फर्जी प्रमाण पत्र का बड़ी संख्या में उपयोग किया गया है।
पूर्णिया में तीन वर्षों के दौरान दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर 18 छात्रों का एमबीबीएस में नामांकन हुआ है। इनमें 16 एमबीबीएस छात्रों का नामांकन कान के दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर हुआ है।
पूर्णिया में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र का मामला पकड़ में आने के बाद राज्य के भागलपुर, मधेपुरा, पटना, बेतिया, गया, दरभंगा, नालंदा व मुजफ्फरपुर में दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नामांकन लेने वाले छात्रों के प्रमाण पत्र की भी जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पुलिस ने फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के मामले में गिरफ्तार कार्तिक यादव की आईजीएमएस में दिव्यांगता की जांच का निर्देश देने के लिए अनुरोध पत्र दाखिल किया है। गुरुवार को इसकी जांचकर्ता इंस्पेक्टर राजनंदनी सिन्हा द्वारा अनुरोध पत्र दाखिल किया गया। संभावना जताई जा रही है कि शुक्रवार को न्यायालय इस मामले में जांच का निर्देश जारी कर सकता है।
गिरफ्तार छात्र का आधार कार्ड निकला अलीगढ़ का:
कार्तिक यादव बिहार के सीतामढ़ी जिले का रहने वाला है, जबकि उसके पास से मिले आधार कार्ड में अलीगढ़ (यूपी) का पता है। उसका दिव्यांगता प्रमाण पत्र गोवा मेडिकल कॉलेज गोवा से निर्गत है।
कार्तिक ने पुलिस को बताया कि नोएडा का गौरव नाम का युवक इस गिरोह का सरगना है। कार्तिक को पूर्णिया मेडिकल कालेज में नामांकन से रोके जाने के बाद गौरव ने कालेज के प्राचार्य को भी फोन कर नामांकन ले लेने को कहा था।
कान की दिव्यांगता पकड़ना आसान नहीं:
पूर्णिया के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. आलोक कुमार ने कहा कि कान की दिव्यांगता को पकड़ना आसान नहीं होता है। कान की दिव्यांगता दिखती नहीं है। इस कारण इसका प्रमाण पत्र आसानी से निर्गत भी हो जाता है।
फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जा रहा है। इस एसआईटी की कमान सदर डीएसपी को सौंपी गई है। यह मामला देश भर के कई मेडिकल कॉलेजों से जुड़ा हुआ है। पुलिस मामले की तह तक जाएगी। - प्रमोद कुमार मंडल, डीआईजी, पूर्णिया
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