Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र से नामांकन का बड़ा रैकेट बेनकाब, 18 छात्रों की जांच शुरू

    By Rajiv KumarEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Wed, 10 Dec 2025 07:25 PM (IST)

    पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र का बड़ा रैकेट सामने आया है. इस मामले में 18 छात्रों की जांच शुरू हो गई है. कॉलेज प्रशासन ने प्रम ...और पढ़ें

    Hero Image

    पूर्णिया मेडिकल कॉलेज

    राजीव कुमार, पूर्णिया। पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर एमबीबीएस में नामांकन लेने वाले छात्रों के प्रमाण पत्रों की जांच होगी। फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नामांकन कराने का मामला पकड़ में आने के बाद पूर्णिया मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने सभी प्रमाण पत्रों की जांच कराने का निर्देश दिया है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस निर्देश के बाद उन कॉलेज एवं संस्थानों द्वारा निर्गत विकलांगता प्रमाण पत्र के बारे में प्राचार्य ने पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि उनके संस्थान से विकलांगता प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है या नहीं। 

    पूर्णिया मेडिकल कॉलेज विगत तीन वर्षों से संचालित

    पूर्णिया मेडिकल कॉलेज विगत तीन वर्षों से संचालित है और इस मेडिकल कॉलेज में विगत तीन वर्षों के दौरान विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर 18 छात्रों का नामांकन हुआ है। इसमें से अधिकांश विकलांगता प्रमाण पत्र कान से विकलांग होने का है। 

    मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के निर्देश के बाद यहां नामांकन कराने वाले विकलांग छात्रों के उन संस्थानों से, जहां से दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है, उनसे जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया है। 

    पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया

    इसमें कोलकाता, बीएचयू, चंढीगढ़ एवं गोवा सहित कई अन्य स्थानों के कॉलेज एवं संस्थान शामिल हैं। विकलांगता प्रमाण पत्र की जांच कराने का फैसला प्राचार्य द्वारा 2025- 29 वर्ष में एमबीबीएस में नामांकन के दौरान कार्तिक यादव नामक छात्र का दिव्यांगता प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने के बाद लिया गया है। 

    इस संबंध में पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नामांकन शाखा प्रभारी अवधेश कुमार झा की लिखित शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। सीतामढ़ी के रहने वाले छात्र कार्तिक यादव, पिता सुनील कुमार यादव, नीट यूजी रोल नंबर 4416105152 द्वारा नामांकन के दौरान अपनी दिव्यांगता प्रमाण पत्र फर्जी दिया गया। 

    कार्तिक द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र को पूर्णिया मेडिकल कॉलेज द्वारा 29 नवम्बर 2025 को अपने पत्रांक 1517 के द्वारा जांच के लिए गोवा मेडिकल कॉलेज गोवा भेजा गया। इसके बाद नौ दिसंबर 2025 को भी इमेल द्वारा गोला कालेज गोवा से रिपोर्ट मांगी गयी लेकिन कॉलेज द्वारा किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया। जिसके बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी।

    नोएडा में बैठा गिरोह का सरगना तीस लाख में उपलब्ध कराता है फर्जी प्रमाण पत्र

    एमबीबीएस में दिव्यांगता का कोटा पांच फीसद होने के कारण फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र का जमकर खेल खेला जा रहा है। कान की दिव्यांगता के नाम पर फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर गिरोह द्वारा जमकर अवैध वसूली की जा रही है। 

    पूर्णिया में फर्जी प्रमाण पत्र के साथ पकड़ में आए छात्र ने माना कि उसे फर्जी प्रमाण पत्र नोएडा में बैठा इस गिरोह के सरगना ने गोवा कालेज से उपलब्ध कराया था। इसके एवज में मोटी रकम ली गयी थी। 

    बताया जाता है कि फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए गिरोह द्वारा तीस से पैंतीस लाख रुपए की वसूली की जाती है। इस गिरोह का नेटवर्क बिहार से लेकर देश के सभी राज्यों में फैला हुआ है। बिहार में हर वर्ष दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी मेडिकल कॉलेज में 80 छात्रों का नामांकन होता है।

    गिरफ्तार छात्र की मेडिकल जांच सक्षम अस्पताल में कराएगी पुलिस

    फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नामांकन के लिए पकड़े गए छात्र कार्तिक यादव की पुलिस अब न्यायालय के निर्देश पर मेडिकल जांच कराने की तैयारी में जुट गयी है। 

    सदर डीएसपी ज्योति शंकर ने बताया कि पुलिस जल्द गिरफ्तार छात्र के दिव्यांगता की जांच सक्षम संस्थान में कराएगी। पूर्णिया में इस तरह के जांच की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है, इस कारण आईजीआईएमएस सहित अन्य संस्थानों में कराने के लिए न्यायालय से अनुरोध करेगी। न्यायालय जहां अनुमति प्रदान करेगा वहां जांच कराई जाएगी।

    कार्तिक के साथ नामांकन के लिए आया सहायक निकला मेडिकल कॉलेज का छात्र

    फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नामांकन के लिए आए छात्र कार्तिक यादव के साथ एक अन्य छात्र को गिरफ्तार किया गया है। वह कुणाल कुमार पिता राकेश कुमार हैं जो अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दूसरे वर्ष एमबीबीएस का छात्र है। उसके द्वारा भी नामांकन के लिए दबाव बनाए जाने के कारण उसे इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।