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    Bihar Politics: इस वजह से बीमा भारती का JDU से उतर गया था मन, RJD इस सीट पर दे सकती है ग्रीन सिग्नल

    Updated: Mon, 25 Mar 2024 01:24 PM (IST)

    Bihar Politics जदयू विधायक बीमा भारती ने अब राजद का हाथ थाम लिया है। बीमा भारती 2000 में महज 18.72 प्रतिशत तथा 20224 मत पाकर पहली बार निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जीती थीं। उन्हें सबसे ज्यादा मत 2010 में 46.63 प्रतिशत तथा 64887 मत मिले थे । 22 सालों में मात्र एकबार कुछ माह को छोड़ दें तो वह लगातार विधायक हैं।

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    बीमा भारती के राजद में शामिल होते ही कयासों का दौर शुरू

    संवाद सूत्र, रूपौली (पूर्णिया)। पांच बार विधायक रहने वाली पूर्व मंत्री बीमा भारती द्वारा जदयू का 14 सालों तक का साथ कुछ ही क्षणों में छोड़कर, राजद के हाथ थामने के साथ ही, कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं। लोगों की नजर में अब बीमा भारती उंची उड़ान उड़ने का ख्वाब देखने लगी हैं तथा वह राजद की टिकट मिलने पर, लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं।

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    बीमा भारती 2000 में महज 18.72 प्रतिशत तथा 20224 मत पाकर पहली बार निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जीती थीं। उन्हें सबसे ज्यादा मत 2010 में 46.63 प्रतिशत तथा 64887 मत मिले थे। 22 सालों में मात्र एकबार कुछ माह को छोड़ दें तो वह लगातार विधायक हैं।

    2005 में लोजपा के पूर्व विधायक शंकर सिंह से चुनाव हारी थीं, फिर उसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा है। निर्दलीय होने के बाद भी वह राजद के शासनकाल में उसके समर्थन में रहीं, परंतु 2010 में राजद को कमजोर होते देख, वह जदयू का दामन थाम लीं तथा तब से अबतक लगातार तीन बार चुनाव जीतती रही हैं।

    पति और बेटे की गिरफ्तारी के बाद उतर गया था मन 

    बताया जाता है कि बीमा भारती हमेशा ही मंत्री बनने का ख्वाब देखती रही हैं और मंत्री भी बनी। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उनके और उनके पति अवधेश मंडल द्वारा राजद का दामन थामने की चर्चा होती रही थी, जिससे उनकी टिकट मुश्किल में पड़ गई थी। हालांकि, अंतिम दौर में उन्हें जदयू से टिकट मिल गया।

    इस बार फ्लोर टेस्ट में उनका संदिग्ध स्थिति रहने के कारण उनपर तलवार तभी लटक गई थी कि वह मंत्री नहीं बन सकती हैं। माना जाता है कि इसी कारण से उनके पति और पुत्र की गिरफ्तारी हुई थी। तभी से उनका मन जदयू से पूरी तरह से उब गया था। उन्हें यह एहसास हो गया था कि इस पार्टी में रहने से कोई फायदा नहीं है।

    यूं कहें कि वह विधायक पद से उब-सी गई हैं, अब वह उंचा ख्वाब देखने लगी हैं। आचार-संहिता से पहले जब मंत्रिमंडल विस्तार होने की चर्चा हुई, तब फिर थोड़ी-बहुत उम्मीद बनी थी।

    उन्हें ऐसा लगा कि इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दबाव में आकर उन्हें फिर से मंत्री बना देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राजद से उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाता है या नहीं, यह आने वाले कुछ ही दिनों में स्पष्ट हो जाएगा। इसके लिए जनता बेसब्री से इंतजार कर रही है। माना जा रहा है कि राजद उन्हें पूर्णिया से मैदान में उतार सकती है। 

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