Bihar Politics: श्रेयसी से शिवानी शुक्ला तक... फैमिली पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाने में आधी आबादी भी पीछे नहीं
बिहार में महिलाएं राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। कई महिलाएं अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में 26 महिलाएं विधायक बनीं, जिनमें से 16 राजनीतिक परिवारों से थीं। 2025 के चुनाव में भी कई महिलाएं मैदान में हैं, जो अपने परिवार की सियासी पारी को आगे बढ़ाना चाहती हैं। इनमें कुछ पूर्व विधायकों और मंत्रियों की बेटियां और बहुएं शामिल हैं।

श्रेयसी सिंह और शिवानी शुक्ला। फाइल फोटो
दीनानाथ साहनी, पटना। वर्तमान में बिहार में आधी आबादी हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। पद्मश्री किसान चाची राजकुमारी देवी एक परिश्रमी महिला के तौर पर अलग पहचान बनाई हैं तो वहीं अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह 2020 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण कर उसी साल विधानसभा चुनाव में जमुई क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुईं।
बिहार के दिग्गज नेता रहे दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह परिवार की सियासी पारी को आगे बढ़ा रही हैं। उनकी मां पुतुल देवी भी सांसद रह चुकी हैं। श्रेयसी सिंह सिर्फ उदाहरण मात्र नहीं हैं। यदि परिवार की सियासी पारी को आगे बढ़ाने में आधी आबादी की भूमिका को देखें तो यहां भी महिलाएं पीछे नहीं हैं।
कभी जिस विधानसभा क्षेत्र से माता-पिता, सास-ससुर, समधी और पति-देवर ने प्रतिनिधित्व किया, उसी क्षेत्र से चुनाव में जीत दर्ज कर आधी आबादी ने परिवार की सियासी विरासत को संभालने का बखूबी काम किया और अभी भी पारिवारिक राजनीति को आगे बढ़ा रही हैं।
बानगी देखिए-2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 26 महिलाएं विधायक चुनी गई थीं। इनमें से ऐसी 16 महिला विधायक रहीं, जो राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखती हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में भी दर्जन भर महिलाएं राजनीतिक परिवारों से हैं और परिवार की सियासी पारी को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी हैं।
विगत चुनाव में प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक निशा सिंह के पति बिनोद सिंह बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं। फुलपरास की विधायक शीला कुमारी उर्फ शीला मंडल के ससुर धनिक लाल मंडल एक जाने-माने राजनीतिज्ञ थे। वे राज्यपाल भी रहे। शीला कुमारी अभी निवर्तमान नीतीश सरकार में मंत्री भी हैं।
हिसुआ की विधायक नीतू कुमारी के ससुर आदित्य सिंह पूर्व मंत्री रहे और हिसुआ सीट से कई बार विधायक चुने गए। अब उनकी बहु नीतू कुमारी पारिवार की सियासी पारी को आगे बढ़ा रही है।
इसी तरह परिहार की विधायक गायत्री देवी और संदेश की विधायक किरण देवी भी परिवार की राजनीतिक विरासत को संभाल रही हैं, जबकि नोखा की विधायक अनीता देवी के पति आनंद मोहन चौधरी और ससुर जंगी सिंह चौधरी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। ये महिलाएं इस बार भी चुनाव मैदान में हैं।
खानदानी विरासत संभालने को नई पारी की शुरुआत
मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट विधानसभा क्षेत्र से 2010 में वीणा देवी विधायक रहीं। अब उनकी पुत्री कोमल सिंह गायघाट सीट पर जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। उनकी मां वीणा देवी अभी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद हैं और वैशाली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके पिता दिनेश प्रसाद सिंह जदयू के विधान पाषर्द हैं।
शिवानी शुक्ला लालगंज विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर उम्मीदवार हैं। वह अपने माता-पिता (पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला-अन्नु शुक्ला) की सियासी पारी को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी हैं। परिहार विधानसभा क्षेत्र से राजद के ही टिकट पर चुनाव लड़ रही स्मिता पूर्वे गुप्ता अपने ससुर पूर्व मंत्री रामचंद्र पूर्वे की सियासी पारी को आगे बढ़ाने का मन बना चुकी है।
उनके ससुर लंबे अरसे तक लालू-राबड़ी की सरकार में मंत्री रहे और वर्तमान में बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र से लंबे अरसे तक सांसद रहे कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद की बहु रमा निषाद औराई विधानसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार हैं। उनके पति अजय निषाद भी मुजफ्फरपुर से दो बार भाजपा के सांसद रह चुके हैं।
इसी तरह पूर्व विधायक गुलाब यादव की पुत्री बिंदु गुलाब यादव राजद के टिकट पर बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं। ऐसी और भी महिलाएं हैं जो खानदानी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरी हैं।
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