Lok Sabha Election 2024 : क्या कांग्रेस इस आधार पर चुनेगी सीटें? झोली नहीं भरी तो क्या... बिहार ने दिया मुट्ठी खोलकर
Bihar Politics नया साल के साथ चुनावी सरगर्मी भी तेज होने लगी है। इसकी तैयारी को लेकर कांग्रेस भी कोई कसर नहीं छोड़ने चाह रही है। बहरहाल इस सबसे पहले कांग्रेस ने राज्यों से चंदा जुटाया है। क्राउड फंडिंग से जुटाई गई राशि से चुनावी संघर्ष में जान फूंकने की कोशिश है। हालांकि सवाल ये है कि क्या कांग्रेस इसे ही सीटें चुनने का आधार बना लेगी?

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। Bihar News : कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो उसकी आय भी कम हो गई। राजनीतिक दलों के साथ ऐसा ही होता है। अभी भाजपा सबसे अमीर पार्टी है, जबकि कांग्रेस की आय वर्ष-प्रतिवर्ष कम होती जा रही है।
ऐसे में चुनावी संघर्ष के लिए उसने क्राउड-फंडिंग द्वारा धन जुटाने का उपाय निकाला। उसे नाम दिया डोनेट फार देश। बिहार ने उसे यहां भी निराश नहीं किया। यहां से उसे अब तक 35 लाख से अधिक रुपये मिल चुके हैं।
इस राशि के साथ बिहार सर्वाधिक चंदा देने वाले राज्यों में नौंवे स्थान पर है। दाताओं की संख्या के आधार पर यह छठे क्रमांक पर है। इसी आधार पर बिहार को कांग्रेस अपने लिए अनुकूल स्थिति वाला राज्य मान रही है।
ऑनलाइन लिया जा रहा इतना चंदा
कांग्रेस की आयु को आधार बनाते हुए नागरिकों से ऑनलाइन 138, 1380, 13800 और 138000 रुपये का चंदा लिया जा रहा है। 28 दिसंबर को उसकी स्थापना के 138 वर्ष पूरे हो गए।
बिहार से मोटी राशि भले ही नहीं मिली हो, लेकिन चंदा देने वालों की संख्या उत्साहित करने वाली है। महत्वपूर्ण यह कि दाताओं में छोटी राशि (138 रुपये) देने वाले अधिक हैं। उनकी संख्या 25 हजार से अधिक है।
मोटी रकम देने वाले तो दहाई में भी नहीं। छोटी राशि देने वाले जमीनी कार्यकर्ता के साथ पार्टी के लिए प्रतिबद्ध मतदाता माने जा रहे हैं। यह संख्या चुनावी संभावना से भी अधिक संगठन के भविष्य के लिए एक सुखद संकेत है।
संभावनाओं की भूमि के आकलन का आधार
ऑनलाइन चंदा का अभियान (डोनेट फार देश) कांग्रेस के लिए आय के साथ संभावनाओं की भूमि के आकलन का एक आधार भी है। पेशेवर चुनावी रणनीतिकारों की राय पर शीर्ष नेतृत्व ने इसका निर्णय लिया।
राज्यवार चंदे की राशि व दाताओं की संख्या इसकी पुष्टि भी करती है। अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि आइएनडीआइए में पार्टी के लिए सीटों पर समझौते का एक मानक यह भी होगा।
चंदा देने वालों की संख्या व उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन कर चुनावी रणनीति का ताना-बाना बुना जाएगा। इसी आधार पर क्षेत्र व राज्य विशेष के लिए अलग मुद्दे भी निर्धारित हो सकते हैं।
अभी तक 10 करोड़ से अधिक राशि
दो जनवरी की शाम तक कांग्रेस को 10.06 करोड़ रुपये मिले थे। उसमें बिहार का योगदान 35.09 लाख का रहा। सर्वाधिक राशि तेलंगाना, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से मिली है। सिक्किम से मात्र 2567 रुपये मिले हैं। वह सबसे कम राशि देने वाला राज्य है।
कुल दाताओं में बिहार की हिस्सेदारी 5.2 प्रतिशत की रही। दाताओं में 15.3 से 5.6 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तेलंगाना क्रमश: पहले से पांचवें स्थान पर हैं।
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