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    Holi 2025 Date: 14 या 15 मार्च... किस दिन खेली जाएगी होली? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन

    Updated: Fri, 28 Feb 2025 07:31 PM (IST)

    होली के त्योहार को लेकर संशय की स्थिति है। मिथिला और बनारस पंचांग के अनुसार 13 मार्च को होलिका दहन होगा और 14 मार्च को पूर्णिमा व स्नान-दान होगा। होली का पर्व 15 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन के दौरान भद्रा मुहूर्त खत्म होने के बाद पूजा की जाएगी। होली के दिन भस्म लगाने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है। रंगों का प्रयोग शुभ माना जाता है।

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    14 या 15 मार्च... किस दिन खेली जाएगी होली? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन

    जागरण संवाददाता, पटना। होली को लेकर (Holi 2025 Date) लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है। मिथिला व बनारस पंचांग के अनुसार, 13 मार्च गुरुवार को होलिका दहन है। फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा दो दिन होने से हो होलिका दहन के एक दिन बाद होली का पर्व मनाया जाएगा। फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च गुरुवार को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च शुक्रवार को होगी।

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    फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10.11 बजे से आरंभ हो रही है और भद्रा भी उसी समय से आरंभ हो रहा है। भद्रा गुरुवार की रात 10.47 बजे तक रहेगा। 14 मार्च शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11.22 बजे तक ही है।

    रंगोत्सव का पर्व होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनेगा। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च शनिवार को होली का पर्व मनेगा। होली के दिन सुबह 7.46 बजे तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र इसके बाद हस्त नक्षत्र पूरे दिन रहेगा।

    ज्योतिष आचार्य ने बताया होली का मुहूर्त

    ज्योतिष आचार्य राकेश झा ने ज्योतिष शास्त्र के हवाले से बताया कि होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में तीन नियम बताए गए हैं। पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा भद्रा मुक्त काल व तीसरा रात्रि का समय होना चाहिए। भद्रा में होलिका दहन करना वर्जित है। 13 मार्च की रात में पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी तथा भद्रा की रात्रि 10.47 बजे खत्म होगा।

    भद्रा समापन के बाद गुरुवार 13 मार्च को उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन होगा। होलिका के अगले दिन 14 मार्च को सूर्योदय कालीन पूर्णिमा, स्नान दान की पूर्णिमा के साथ कुल देवता को सिंदूर अर्पण किया जाएगा।

    कैसे होगी होलिका की पूजा?

    होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा में अक्षत, गंगाजल, रोली, चंदन, मौली, हल्दी, दीपक, मिष्ठान आदि से पूजन करने के बाद उसमें कर्पूर, तिल, धूप, गुगुल, जौ, घी, आम की लकड़ी, गाय के गोबर से बने उपले (गोइठा) डाल कर सात बार परिक्रमा करने से परिवार की सुख शांति, समृद्धि में वृद्धि, नकारात्मकता का ह्रास, रोग-शोक से मुक्ति व मनोकामना की पूर्ति होती है।

    होलिका जलने के बाद उसमें चना या गेहूं की बाली को पका कर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से स्वास्थ्य अनुकूल, दीर्घायु, एश्वर्य में वृद्धि होती है। होलिका दहन की भस्म को पवित्र माना गया है।

    होली के दिन यह काम जरूर करें

    होली के दिन संध्या बेला में भस्म लगाने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है। शास्त्रोचित मत से होली में लाल, पीला व गुलाबी रंग का ही प्रयोग करना चाहिए। रंगों का पर्व होली भारतीय सनातन संस्कृति में अनुपम और अद्वितीय है। यह पर्व प्रेम तथा सौहार्द का संचार करता है।

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