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    Bihar: निजी मंदिर को जबरन धार्मिक न्यास घोषित करने की थी कोशिश, HC ने परिषद और उसके अध्यक्ष पर लगाया जुर्माना

    By Arun AsheshEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Wed, 09 Aug 2023 12:47 AM (IST)

    पटना हाईकोर्ट ने एक निजी मंदिर को जबरन धार्मिक न्यास घोषित करने के मामले पर सुनवाई करते हुए धार्मिक न्यास परिषद और उसके अध्यक्ष पर 10 हजार का जु्र्माना लगाया है। मंदिर से जुड़ा यह मामला पूर्वी चंपारण के ढाका अंचल में स्थित राम जानकी मंदिर से संबंधित है। यह मंदिर याचिकाकर्ता और उसके परिवार की निजी ठाकुरबाड़ी में स्थित है।

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    HC ने परिषद और उसके अध्यक्ष पर लगाया 10 हजार का जुर्माना। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, पटना: पटना हाईकोर्ट ने एक निजी मंदिर को जबरन धार्मिक न्यास घोषित करने के मामले पर सुनवाई करते हुए धार्मिक न्यास परिषद और उसके अध्यक्ष पर 10 हजार का जु्र्माना लगाया है। मंदिर से जुड़ा यह मामला पूर्वी चंपारण के ढाका अंचल में स्थित राम जानकी मंदिर से संबंधित है। यह मंदिर याचिकाकर्ता और उसके परिवार की निजी ठाकुरबाड़ी में स्थित है।

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    याचिकाकर्ता अभय सिंह के अधिवक्ता रंजन कुमार दुबे ने कोर्ट को बताया कि पहले भी बोर्ड ने याची के परिवार को नोटिस देकर उनके ठाकुरबाड़ी में स्थित मंदिर को जबरन धार्मिक न्यास घोषित करने का प्रयास किया था।

    इसके खिलाफ अभय सिंह ने पूर्वी चंपारण के सब जज की अदालत में परिषद और उसके अफसरों के खिलाफ एक टाइटल सूट दायर किया था।

    निचली अदालत ने याचिकाकर्ता के हक में सुनाया था फैसला

    इस टाइटल सूट में 2016 में ही निचली अदालत ने याचिकाकर्ता और उसके परिवार के पक्ष में फैसला देते हुए यह तय किया कि उक्त मंदिर याचिकाकर्ता के परिवार का एक निजी मंदिर है, न कि एक सार्वजनिक धार्मिक न्यास का। कोर्ट के मुताबिक, बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद का उस मन्दिर और न्यास पर कोई क्षेत्राधिकार नहीं है।

    याचिकाकर्ता ने परिषद के समक्ष उपस्थित होकर सिकरहना के सब जज न्यायालय से पारित 2016 में इस टाइटल सूट के फैसले की कॉपी को दर्शाया और कहा कि यह फैसला परिषद पर भी बाध्यकारी है।

    आदेश के खिलाफ परिषद अध्यक्ष ने दायर की थी टाइटल अपील

    परिषद अध्यक्ष ने अदालत के फैसले की कॉपी को रखते हुए अपने कार्यालय को आदेश दिया कि निचली अदालत के फैसले के खिलाफ टाइटल अपील करने दायर करें।

    कोर्ट में टाइटल अपील दायर करने के साथ परिषद अध्यक्ष ने आनन-फानन में उक्त मंदिर को सार्वजनिक धार्मिक न्यास घोषित करते हुए कुछ स्थानीय लोगों को न्यासी भी बना दिया था।

    हाईकोर्ट ने परिषद एवं उनके अध्यक्ष के इस पूरे रवैया पर कड़ी नाराजगी जताते हुए परिषद अध्यक्ष की कार्य शैली की निंदा करते हुए अर्थदंड लगाया।