तेजस्वी को विधानसभा में विजय चौधरी ने पढ़ाया पाठ, कहा - 2003 में भी एसआईआर को ले एक महीने का मिला था समय
पिछली बार जब 2003 में एसआईआर हुआ था तो उस समय भी इस काम के लिए चुनाव आयोग ने एक ही महीने का समय दिया था। उस समय 15 जुलाई से एसआईआर हुआ था जो 14 अगस्त को खत्म हो गया था। चुनाव आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहा।

राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर गुरुवार को हुई सर्वदलीय चर्चा में संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पिछली बार जब 2003 में एसआईआर हुआ था तो उस समय भी इस काम के लिए चुनाव आयोग ने एक ही महीने का समय दिया था। उस समय 15 जुलाई से एसआईआर हुआ था जो 14 अगस्त को खत्म हो गया था। चुनाव आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहा। यह कोई नयी बात नहीं है। गहन पुनरीक्षण प्रत्येक 20 से 22 वर्षों के बीच होता है। हमलोगों ने तो घर-घर जाकर जाति आधारित सर्वे का काम केवल 15 दिनों में पूरा कर लिया था।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग ने ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिससे उसकी मंशा पर सवाल उठाया जाए। सरकार की तरफ से वह सदन को यह आश्वस्त करते हैं कि बिहार का कोई सही मतदाता को मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाएगा। चुनाव आयोग ने मृत लोगों के नाम को सूची से निकाला है। बिहार छोड़कर जो बाहर चले गए उन्हें क्या यहां कि मतदाता सूची में रखा जाए? अब तो गहन पुनरीक्षण मात्र दो दिनों की बात है। पहली अगस्त से एक सितंबर तक चुनाव आयोग लोगों को आपत्ति दर्ज कराने का समय भी दे रहा। राजनीतिक दलों की आपत्तियों को भी वह निष्पादित करेगा।
अब तक 98 प्रतिशत मतदाताओं का हिसाब हो चुका है। अगर बिना किसी कारण के किसी का मतदाता सूची से नाम हटा दिया गया है तो सरकार उसका संज्ञान लेगी। विपक्ष पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि आपलोगों ने अपना नाम सुनिश्चित करा लिया है कम से कम और लोगों का तो करा दीजिए।
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