सूर्यवंशी बढ़ा रहा बिहार का 'वैभव': मां रात 3 बजे उठकर खाना पकातीं, पिता सुबह 5 बजे क्रिकेट खेलने ले जाते
समस्तीपुर के युवा क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'बालवीर सम्मान' से अलंकृत किया। उनके किसान पिता संजीव और मां आरती के अथक संघ ...और पढ़ें

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से पुरस्कार प्राप्त करते वैभव सूर्यवंशी। एक्स
अक्षय पांडेय, पटना। Cricketer Vaibhav Suryavanshi: समस्तीपुर के ताजपुर में उन दिनों स्कूल की घंटी से पहले बैट से सामना करती गेंद की टक-टक सुनाई पड़ती थी।
सुबह-सुबह जब पढ़ने के लिए बच्चों के कदम विद्यालय की ओर भागते, तो घर की छत पर एक बच्चा हेलमेट-पैड पहने पिता की गेंद पर जोरदार प्रहार करता था।
कभी कवर तो कभी स्ट्रेट ड्राइव। पिता जब थक जाते, तो सात वर्षीय बच्चा गेंद के खुद की ओर आने की कल्पना कर हवा में बल्ला चलाता रहता।
पिता के संघर्ष, त्याग और अटूट विश्वास के दम पर आंखों में बड़े सपने और दिल में क्रिकेट का जुनून लिए वैभव सूर्यवंशी के पास अगर कुछ नैसर्गिक था, तो वो परिश्रम रहा।
फलस्वरूप शुक्रवार को 14 वर्षीय वैभव को राष्ट्रपति द्राैपदी मुर्मु ने बालवीर सम्मान से अलंकृत किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी खिलाड़ी का हौसला बढ़ाया।
फलक तक पहुंचने पर आज जिस खिलाड़ी की प्रतिभा सबको आश्चर्यचकित कर रही है, उसके पीछे लंबी कहानी है। बचपन आम बच्चों से अलग।
खिलौनों के स्थान पर हाथों में बल्ला और गेंद पर एक टक निगाहें। मां की दुआ और किसान पिता के भरोसे के बूते घर की सीमित सुविधाओं में गगनचुंबी छक्कों की तरह उड़ान भरते सपने।
छोटी उम्र में ही वैभव ने खुद को एक तय दिनचर्या में बांध लिया था। पढ़ाई और खेल के बीच संतुलन बनाना उसने जल्दी सीख लिया। धूप में अभ्यास, थकान से जूझना और बार-बार खुद को बेहतर साबित करना, यही उनकी दिनचर्या बन गई।
तीन बजे उठतीं मां, पांच बजे निकल जाते पिता
देश-दुनिया के मानचित्र पर बिहार को चमकाने वाले की कहानी के साथ हजारों प्रेरणाएं जुड़ीं। क्रिकेट का जुनून देख पिता संजीव सूर्यवंशी ने अकादमी में अभ्यास करा खेल में निखार लाने का मन बना लिया।
समस्तीपुर में बेहतर संभावना न देख रोज पटना आने की योजना बन गई। तीन भाइयों में बीच वाले बेटे के लिए संघर्ष की यात्रा सूर्य के निकलने से पहले शुरू होने लगी।
रात तीन बजे उठ मां आरती सूर्यवंशी खाना बना टिफिन तैयार करतीं, पिता सुबह पांच बजे बेटे को लेकर घर से निकल जाते।
वैभव की उपलब्धियों पर एक नजर
- 12 साल और 284 दिन की उम्र में रणजी ट्राफी में पदार्पण
- विजय हजारे ट्राफी में 84 गेंद खेल बनाए 190
- आइपीएल 2025 में 38 गेंद में खेली 101 रन की पारी
- अंडर-19 एशिया कप 95 गेंदों में बनाए 171 रन
- यूथ टेस्ट में 62 बाल में 104 रन
- सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में 61 गेंद में 108
- राइजिंग स्टार्स एशिया कप 42 गेंद में 144
परिश्रम की ललक हमेशा रही अधिक
राजधानी के संपतचक में जेनएक्स अकादमी के प्रशिक्षक व वैभव के प्रारंभिक कोच मनीष ओझा बताते हैं, वैभव के पिता उसे रोज समस्तीपुर से बस से पटना लाते थे।
तब उम्र नौ से 10 साल रही होगी। जबतक वह अभ्यास करता, पिता मैदान पर रहते। तब वो एक दिन में 500 से अधिक गेंदें खेलता था।
बीच में समय देख उसे खाना खिलाते। समस्तीपुर से आने-जाने में एक दिन पूरा लग जाता, तो वो एक दिन छोड़कर पटना आने लगा।
उसमें किसी भी छोटे या बड़े खिलाड़ी से अधिक परिश्रम करने की ललक रही। उसने कभी हालात को दोष नहीं दिया, बल्कि अपनी मेहनत को और तेज कर दिया।
मैंने खुद धौनी एवं कई चयनकर्ताओं को उसकी बल्लेबाजी का वीडियो बनाकर भेजा। समय के साथ मैदान पर उसका आत्मविश्वास साफ झलकने लगा।

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