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    UPSC Result 2023: सिविल सेवा में हिंदी माध्यम वाले छात्र क्यों पिछड़ रहे? ये वजह आ रही सामने; पढ़ें एक्सपर्ट की राय

    Updated: Thu, 18 Apr 2024 11:02 AM (IST)

    Bihar News यूपीएससी का परिणाम सामने आ गया है। इस बार बिहार के अभ्यर्थी ने भी सफलता पाई लेकिन टॉप 10 में एक भी नहीं आ सके। टॉप 20 में केवल एक अभ्यर्थी आए लेकिन उसे भी 19वीं रैंक मिली। समस्तीपुर से शिवम को 19वीं रैंक मिली है। गोपालगंज के सौरव शर्मा को 23वीं रैंक मिली है। औरंगाबाद के विरुपाक्ष विक्रम सिंह को 49 रैंक मिली है।

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    यूपीएससी रिजल्ट 2023 में हिंदी मिडियम वाले पिछड़े (जागरण)

    नलिनी रंजन, पटना। UPSC Topper 2023: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा 2023 का अंतिम परिणाम मंगलवार को जारी कर दिया। इसमें बिहारी प्रतिभाओं ने सफलता का परचम लहराया है। यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में बिहार से लगभग 80 प्रतिभाओं ने दम दिखाया है।

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    इन अभ्यर्थियों में हिंदी से अधिक संख्या अंग्रेजी माध्यम से सफलता अर्जित करने वाले अभ्यर्थियों की है। वर्ष 2022 व 2023 के परिणाम में हिंदी माध्यम से सफलता अर्जित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या नगण्य है।

    विशेषज्ञों ने दी राय

    विशेषज्ञ बताते है कि वर्ष 2011 में सी-सैट आने के बाद हिंदीभाषी विद्यार्थियों की सफलता में कमी आने लगी। आरंभ के दो-तीन वर्षों तक सी-सैट के प्रश्नों का स्टैंडर्ड कठिन नहीं था। इसके अतिरिक्त इसके अंक भी परिणाम में जुड़ते थे। लेकिन बाद में इसमें केवल सफल होना आवश्यक कर दिया गया।

    वर्ष 2014 बैच आइएएस और बिहार-झारखंड के सिविल सेवा अधिकारियों के संगठन नेशनल एशोसिएशन आफ सिविल सर्वेंट्स (एनएसीएस) के संयोजक संतोष कुमार बताते है कि सी-सैट के प्रश्न काफी कठिन हो गए है। इसमें कमजोर अंग्रेजी व गणित वाले विद्यार्थियों को सफलता कम मिलती है। इसके कारण भी हिंदी माध्यम के लिए यह कठिन हो गया है।

    2020 बैच की आईएएस ने दी अपनी राय

    2020 बैच की मध्य प्रदेश कैडर की आईएएस अर्चना कुमारी बताती है कि हिंदी में तैयारी के लिए कंटेंट भी कम मिलते है। ऐसे में हिंदी वाले विद्यार्थियों को भी अंग्रेजी का सहारा लेकर तैयारी करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त मुख्य परीक्षा में हिंदी लिखने की गति थोड़ी धीमी हो जाती है।

    जबकि मुख्य परीक्षा में सात-आठ मिनट में एक प्रश्न का जवाब देना होता है। वह भी बेहतर लेखन के साथ। इसके अतिरिक्त साक्षात्कार में आत्मविश्वास की कमी होने के कारण भी हिंदी माध्यम वाले को थोड़ी परेशानी होती है।

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