Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mango Startup से बिहार के दो भाइयों ने खोली स्वावलंबन की राह, अमेरिका से भी आ रही मांग

    Updated: Thu, 30 May 2024 07:08 PM (IST)

    दोनों भाइयों का जोर बिहार के जीआइ टैग्ड दुधिया मालदा व जर्दालु आम पर है। दोनों प्रजातियां अपनी गुणवत्ता व स्वाद के कारण जानी जाती हैं। इन्हें पकाने के लिए कार्बाइड का प्रयोग नहीं करते ताकि प्राकृतिक तौर पर पके आम उपभोक्ताओं को मिल सके। अब दोनों भाई का उद्देश्य है गुणवत्ता के सहारे दुधिया मालदा व जर्दालु को ग्राहकों की प्रतिष्ठा से जोड़ दें।

    Hero Image
    आम के स्टार्टअप से बिहार के दो भाइयों ने खोली स्वावलंबन की राह, अमेरिका से भी आ रही मांग

    प्रशांत सिंह, पटना। इसे कहते हैं, एक पंथ दो काज। कोरोना काल में निराशा के दौर में दो भाइयों आनंद सागर व आशीष सागर का उद्देश्य कुछ अलग हटकर ऐसा करना था, जिससे नाम के साथ कमाई भी हो। चार वर्ष पहले शुरुआत बाइक से फल और सब्जियों की होम डिलीवरी से की थी और आज आम बिक्री के देश के शीर्ष दस ऑनलाइन प्लेटफार्म में इनके विलकार्ट (villkart.com) का नाम आ रहा है। इस तरह कोरोना काल में आपदा में अवसर खोज कर अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन्होंने दक्षिणी राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बड़े बाजार की तलाश की है और गत तीन वर्षों से वहां बिहार का प्रसिद्ध आम दूधिया मालदह और जर्दालू के साथ-साथ अल्फांसो, केसर, दशहरी की डोर स्टेप डिलीवरी करा रहे हैं। आम की पैकिंग भी विशिष्ट व सुरक्षित तरीके से कराते हैं। अब इनके प्लेटफार्म पर अमेरिका से भी पूछा जाने लगा है कि क्या वे भारत से आम की डिलीवरी कर सकते हैं?

    दोनों भाइयों का जोर बिहार के जीआइ टैग्ड दुधिया मालदा व जर्दालु आम पर है। दोनों प्रजातियां अपनी गुणवत्ता व स्वाद के कारण जानी जाती हैं। इन्हें पकाने के लिए कार्बाइड का प्रयोग नहीं करते ताकि प्राकृतिक तौर पर पके आम उपभोक्ताओं को मिल सके। अब दोनों भाई का उद्देश्य है, गुणवत्ता के सहारे दुधिया मालदा व जर्दालु को ग्राहकों की प्रतिष्ठा से जोड़ दें। ताकि आम का मनचाहा दाम मिले, जिसका लाभ उनके साथ किसानों को भी हो सके।

    इसके साथ ही दोनों भाई युवाओं को खेती व बागबानी के लिए प्रेरित करते हैं। क्या उत्पादन करना है, उनकी उपज कैसे बिकेगी और उनके उत्पादों का उचित मूल्य कैसे मिलेगा, बताते हैं। इनकी प्रेरणा से दर्जन भर युवा खेती व बागबानी से जुड़ गए हैं। भागलपुर में किसानों से कम से कम दस हजार विभिन्न किस्म के आम के पौधे लगवाए हैं, इससे उनकी आमदनी तो बढ़ेगी ही, उनके क्षेत्र का वातावरण भी शुद्ध रहेगा। आनंद बताते हैं कि कार्बन अवशोषित करने के लिए आम श्रेष्ठ पेड़ सिद्ध है।

    अपने संघर्ष के बारे में दोनों भाइयों ने बताया कि 25 मार्च 2020 को कोरोना का प्रसार देखते हुए देश में लाकडाउन लगा दिया गया था, वे दोनों इससे पहले ही सपरिवार गांव लौट गए थे। खाली बैठे तो पिता संतोष कुमार से विचार-विमर्श कर पैतृक जमीन में जैविक विधि से हरी सब्जी उगाने का निश्चय किया। नेनुआ, करेला, भिंडी, बैगन, कद्दू के बीज बो दिए, उनकी देखरेख करने लगे। इस बीच अपने व ग्रामीणों के बगीचे में आम तैयार होने को थे, सभी को इसकी बिक्री की चिंता थी, आवागमन के साधन बंद हो चुके थे। ऐसे में इसकी आनलाइन मार्केटिंग का आइडिया आया।

    सबसे पहले पिता के इष्ट मित्रों से फोन पर संपर्क किया, सबने आम खरीदने को सहर्ष हामी भर दी। खाद्य सामग्री के परिवहन की छूट थी तो बाइक से ही सबके घर मालदा प्रजाति के आम पहुंचाने लगे। यह चेन मार्केटिंग की तरह चल निकला, जहां जाते आस-पड़ोस के लोग भी मांग करते। अकेले सबको डिलीवरी संभव नहीं हुई तो गांव के दस लड़कों को जोड़ लिया, बदले में उन्हें पारिश्रमिक देते। भुगतान का संकट नहीं था, परंतु मेहनत बहुत थी। एक-एक दिन में दो सौ किमी तक बाइक चलानी पड़ती, थक कर चूर हो जाते थे। आशीष ने बताया कि एक दिन मोबाइल पर आनलाइन प्लेटफार्म सर्च करने के दौरान देखा कि हापुस व अल्फांसो प्रजाति के आम की वैश्विक मांग है, कमेंट बाक्स में देखा कि लोग अत्यधिक महंगे होने के बावजूद इन्हें स्वाद के अलावा प्रतिष्ठासूचक मान रहे हैं।

    बड़े भाई ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई का सदुपयोग किया। ‘मार्ट’ नाम से कई नामी-गिरामी ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफार्म थे तो स्वयं भी डोमेन बुक करके ‘विलमार्ट’ नाम से ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाया और उसे प्रोमोट करने लगे। बाद में इष्ट मित्रों की सलाह पर इसे 'विलकार्ट' कर दिया। की वर्ड बदला तो प्रसार में नाम बदलने का लाभ भी मिला।

    पढ़ाई के बाद नहीं की नौकरी की तलाश

    दोनों भाई बिहार के नवादा के नरहट खनवां गांव के मूल निवासी हैं। दोनों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। बड़ा भाई आनंद सागर इंजीनियर है तो छोटे आशीष सागर ने बिजनेस मैनेजमेंट किया है। पढ़ाई के दौरान ही आनलाइन व्यवसाय शुरू किया, डिग्री प्राप्त करने के बाद नौकरी की तलाश करने की बजाय अपने अनुभव व ज्ञान का प्रयोग स्वयं के लिए कर रहे हैं।

    किसानी को उचित सम्मान दिलाना आगे का सोच

    आनंद ने बताया कि आगे दोनों भाई इस सोच पर काम कर रहे हैं कि बिहार के गांवों से युवाओं का पलायन रुके, युवाओं के मन से कृषि को छोटा काम मानने की नासमझी दूर की जाए, ताकि किसानी को उचित सम्मान मिल सके। इस उद्देश्य के लिए, "वार्षिक स्वस्थ खाद्य सदस्यता" अभियान की शुरूआत शीघ्र करेंगे, ताकि शहरों में रहने वाले स्वास्थ्य के प्रति सचेत परिवारों तक प्रतिदिन प्राकृतिक खाद्य सामग्री जैसे ताजा पीसे आटे, चावल, कोल्ड प्रेस तेल, ए2 घी, मसाले एवं अन्य खाद्य सामग्री की होम डिलीवरी हो सके।

    ये भी पढ़ें- Supreme Court Lok Adalat: 29 जुलाई से 3 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट में आयोजित होगी विशेष लोक अदालत, पढ़ें पूरी डिटेल

    ये भी पढ़ें- Greenfield Expressway से बदल जाएगी सीमांचल की सूरत, 140 गांवों को होगा फायदा; 110 KM लंबा होगा Highway