ब्रेन स्ट्रोक आने से पहले शरीर में दिखने लगते हैं ये लक्षण, चेहरे व हाथ-पैर से मिल जाते हैं संकेत
ब्रेन स्ट्रोक के मामले आजकल काफी सामने आ रहे हैं। ऐसे में सतर्क होना जरूरी है। चेहरे हाथ-पैर आदि में कमजोरी सुन्नता बोलने-समझने में कठिनाई चक्कर शरीर संतुलन में दिक्कत एक या दोनों आंखों से धुंधला दिखना ब्रेन स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

जागरण संवाददाता, पटना : अचानक चेहरे, हाथ-पैर आदि में कमजोरी, सुन्नता, बोलने-समझने में कठिनाई, चक्कर, शरीर संतुलन में दिक्कत, एक या दोनों आंखों से धुंधला दिखना ब्रेन स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ऐसा होने पर यदि रोगी को साढ़े चार घंटे के अंदर ऐसे नजदीकी अस्पताल ले जाया जाए जहां न्यूरो के विशेषज्ञ हों तो गंभीर शारीरिक विकृति होने से बचाया जा सकता है। साढ़े चार घंटे के अंदर मरीज के अस्पताल आने और सीटी स्कैन में ब्रेन स्ट्रोक की पुष्टि होने पर इंजेक्शन से ही रक्तनलिकाओं में जमे खून के थक्कों को खत्म किया जा सकता था। वहीं, 24 घंटे तक रोगी को गंभीर शारीरिक विकृतियों से उन्हीं हास्पिटल में बचाया जा सकता है जहां थ्रम्बक्टामी तकनीक की सुविधा हो। इसमें मस्तिष्क में तार डाल कर ब्लड क्लाटिंग को हटाया दिया जाता है।
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ये बातें रविवार को दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में जयप्रभा मेदांता मल्टीसुपरस्पेशियलिटी हास्पिटल में न्यूरोलाजी के कंसलटेंट डा. सनाउल्लाह मुदस्सिर ने पाठकों के सवालों के जवाब में कहीं। देश में हर छह में से एक व्यक्ति को कभी न कभी स्ट्रोक की समस्या होती है। हर एक मिनट में दो लोगों को इस समय स्ट्रोक आ रहा है। इनमें से हर चार में से एक की उम्र 65 वर्ष से अधिक होती है। आधुनिक जीवनशैली, तनाव आदि के कारण हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में 25 से 30 वर्ष के युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं।
सात दिनों से सिर व गर्दन में दर्द, उल्टी और बुखार है।
-ज्ञान कुमार, आरा
ऐसे लक्षण मेनिनजाइटिस यानी मस्तिष्क ज्वर में होते हैं। यह टीबी, वायरस या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण हो सकता है। ऐसे में किसी अस्पताल में जाकर रीढ़ की हड्डी के पानी की जांच करानी चाहिए। देर होने पर चमकी जैसे गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं।
लंबे समय से शुगर है लेकिन कुछ माह से हाथ-पैर में कंपन सा महसूस होता है।
-शिवराम, गर्दनीबाग
लंबे समय तक शुगर स्तर अनियंत्रित रहने पर डायबिटिक न्यूरोपैथी होने पर ऐसे लक्षण हो सकते हैं। इसमें हाथ-पैर की नसें कमजोर हो जाती है। नसों की ताकत की जांच कराकर कुछ दवाओं और चोट अदि से बचने आदि की सावधानी बरतते हुए शुगर नियंत्रित कर इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
62 वर्ष उम्र है। कई माह से बैठे रहने पर हाथ कांपते हैं। काम करने पर ऐसा नहीं होता?
-उमाशंकर, सोनपुर
नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होने वाले पार्किंसन रोग का यह लक्षण हो सकता है। इसके शुरुआती लक्षण हाथों में कंपन से होता है और धीरे-धीरे पूरे शरीर अकड़ने लगता है। शुरुआती दौर में उपचार कराने से दवाओं व फिजियोथेरेपी से इसके दुष्प्रभावों को कमोवेश पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।
इन्होंने भी पूछे सवाल
राजकुमार चौहान बख्तियारपुर, मुखिया कालू सिंह मलाही बाढ़, सीताराम सिंह महनार वैशाली, तन्वी रुकनपुरा, विजय कुमार शेखपुरा पटना, रिंकू कुमार पीसी कालोनी पटना, संतोष कुमार जहानाबाद, आशीष जायसवाल बेलगांव पटनासिटी, समीना रहमत पटना, रविंद्र प्रसाद मसौढ़ी, कमल सिंह आरा, लखन कुमार पटनासिटी, नंदिकशोर पटना।
स्ट्रोक से बचाव के तरीके
- बीपी की समस्या हो तो दवाओं से उसे नियंत्रित रखें। तनाव मुक्त रहें।
- दिनचर्या में कम से कम 20 मिनट व्यायाम शामिल करें।
- धूम्रपान, शराब व अन्य नशे का सेवन नहीं करें।
- 30 से 50 वर्ष के लोग साल में एक बार बीपी, शुगर, लिपिड प्रोफाइल, हार्ट की जांच जरूर कराएं। 60 वर्ष बाद हर छह माह में स्वास्थ्य परीक्षण कराएं।
- यदि ब्रेन स्ट्रोक की दवा खाते हैं तो उसे नियमित व समय पर खाएं।
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