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    कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए आसान नहीं होगी टिकट की राह, पार्टी की कसौटी पर उतरना होगा खरा

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 12:21 PM (IST)

    टिकट की चाह रखने वाले उम्मीदवारों को पार्टी की कसौटी पर भी कसा जा रहा है। पार्टी का स्पष्ट मानना है कि इस बार टिकट वैसे उम्मीदवारों को ही मिलेगा जिनकी क्षेत्र में पकड़ होगी और जिन्होंने पार्टी की निर्धारित शर्तो को पूरा किया हो।असल में पार्टी ने इस वर्ष टिकट बंटवारे के के लिए नई व्यवस्था बनाई है।

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    कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए आसान नहीं होगी टिकट की राह

    सुनील राज, पटना। बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस अपनी सोची समझी रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है। एक ओर जहां चुनाव में मैदान मारने के लिए वह नए-नए पैंतरे आजमा रही है वहीं टिकट की चाह रखने वाले उम्मीदवारों को पार्टी की कसौटी पर भी कसा जा रहा है। पार्टी का स्पष्ट मानना है कि इस बार टिकट वैसे उम्मीदवारों को ही मिलेगा जिनकी क्षेत्र में पकड़ होगी और जिन्होंने पार्टी की निर्धारित शर्तो को पूरा किया हो।

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    असल में पार्टी ने इस वर्ष टिकट बंटवारे के के लिए नई व्यवस्था बनाई है। पूर्व के आरोपों को ध्यान में रखते हुए टिकटार्थियों के लिए आनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन में उम्मीदवारों से जहां उनका व्यक्तिगत ब्योरा मांगा गया था वहीं टिकट के लिए कई शर्तें भी रखी थी। जिन्हें पूरा किया बगैर टिकट मिलना नामुमकिन बनाया गया है। जो शर्ते टिकटार्थियों के लिए रखी गई उनमें जनाक्रोश रैली, सामुदायिक मीटिंग, माई-बहन मान योजना के लिए निबंधन, पार्टी का झंड़ा अभियान का पूरा ब्योरा देना अनिवार्य है वहीं फेसबुक, इंस्टाग्राम पर फालोवर्स की संख्या के साथ पार्टी ने जो कार्यक्रम घोषित किया उनकी सफलता के लिए उम्मीदवार ने क्या किया जैसे ब्योरे देना आवश्यक किया गया।

    पार्टी के अंदरखाने के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उम्मीदवारी की चाह के हजारों आवेदन पार्टी को मिले हैं। जिनकी स्क्रूटनी भी शुरू हो गई है। स्क्रूटनी के क्रम में यह देखा जा रहा है कि माई-बहन मान योजना के लिए उम्मीदवारों ने अपने क्षेत्र में कितनी महिलाओं को निबंधित किया। उनके मोबाइल नंबर के साथ इसका मिलान हो रहा है। रोजगार मेला में उम्मीदवार अपने क्षेत्र के कितने युवाओं को नौकरी मेला तक लाने और काउंसिलिंग में सफल रहे। घर-घर झंडा कार्यक्रम, जनाक्रोश रैलियां में कितनी सफलता प्राप्त की।

    सूत्रों ने बताया स्क्रूटनी के दौरान यदि एक क्षेत्र से एक से अधिक आवेदन आएं हैं तो उनके बीच कार्यो का मिलान हो रहा है। जिसने वास्तविक रूप से ज्यादा उपलब्धि है उसकी दावेदारी को मजबूत माना जा रहा है। हालांकि यह प्रक्रिया अभी प्रारंभ ही हुई है। महीने भर में इसके पूरा होने की संभावना है। स्क्रूटनी के बाद ही तय होगा कि टिकट के लिए किस उम्मीदवार की दाल गली और किसकी दाल बिना चूल्हे पर चढ़े ही उतर गई।