'सदन किसी के बाप का नहीं...', RJD विधायक ने क्यों कहा ऐसा? गुस्से में डिप्टी CM बोले- ये 90 का दशक नहीं
आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र ने आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग कर दिया जिसके बाद स्पीकर नंदकिशोर यादव ने साफ शब्दों में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से कहा कि भाई वीरेंद्र से माफी मंगवाएं तभी सदन चलेगा।नंदकिशोर यादव ने उन्हें भी डांटकर चुप करा दिया। कहा कि आप सदन चला रहे हैं या मैं। भाई वीरेंद्र ने माफी नहीं मांगी तो स्पीकर अपनी सीट से उठकर चले गए।

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में एसआइआर के खिलाफ विपक्ष के आक्रामक तेवर कम होते नहीं दिख रहे। बिहार विधानसभा में तीसरे दिन भी इस मसले पर विपक्ष का जोरदार हंगामा हुआ। बिहार में वोटर लिस्ट के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान चल रहा है। इस दौरान भारी हंगामा हो गया। आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र ने आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग कर दिया, जिसके बाद स्पीकर नंदकिशोर यादव ने साफ शब्दों में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से कहा कि भाई वीरेंद्र से माफी मंगवाएं, तभी सदन चलेगा। इस विवाद में जब डेप्युटी स्पीकर विजय सिन्हा ने बोलना शुरू किया तो स्पीकर नंदकिशोर यादव ने उन्हें भी डांटकर चुप करा दिया। कहा कि आप सदन चला रहे हैं या मैं। भाई वीरेंद्र ने माफी नहीं मांगी तो स्पीकर अपनी सीट से उठकर चले गए।
हम आपको बता दे कि जब तेजस्वी यादव संबोधित कर रहे थे तब स्पीकर नंदकिशोर यादव ने तेजस्वी यादव से कहा कि आप जल्दी अपना संबोधन पूरा कर लें क्यों आपके सुझाव से ही आपके साथियों को भी बोलने का समय तय किया गया है। स्पीकर नंदकिशोर यादव के इस बयान पर आरजेडी विधायक ने विवादित बयान देते हुए कहा कि किसी के बाप का है क्या सदन? इसके बाद सदन में हंगामा मच गया और नंदकिशोर यादव भड़क उठे।
वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधायक भाई वीरेंद्र ने माफी मांगने से साफ शब्दों में मना कर दिया है। सदन के बाहर आने के बाद भाई वीरेंद्र ने कहा, 'सदन किसी की बपौती नहीं है। मैं अपने बयान पर अभी भी कायम हूं। मैंने कोई गलत काम किया ही नहीं, इसलिए माफी क्यूं मांगूं।'
बयान के बाद माहौल गरमा गया और सदन से बाहर आने के बाद डेप्युटी सीएम विजय सिन्हा ने कहा कि नेताप्रतिपक्ष को बोलने का मौका मिला। लंबे समय तक बोले। सदन की कार्यवाही के दो दिन बचे हैं, शांति से जनता के प्रश्नों पर चर्चा चलने दिया जाये। विधायक भाई वीरेंद्र ने जो कहा यह बयान सदन के अंदर उनके गुंडाराज को दर्शाता है। ये भूल गए हैं, ये 90 का दशक नहीं है। अगर ये माफी नहीं मांगेंगे तो ऐसे लोगों को सदन में बैठने का कोई औचित्य नहीं है।
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