पटना में स्कूलों की हालत खराब, कक्षा छोड़कर शौच करने के लिए जाना पड़ता है बाजार में
विद्यालय का एकमात्र शौचालय जलभराव के कारण बंद हो चुका है जिससे छात्राओं को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। प्रधान शिक्षक कृष्ण गोपाल गुप्ता ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कभी-कभी कक्षाएं स्थगित करनी पड़ती हैं। उन्होंने विभाग को भवन निर्माण के लिए दो बार पत्र लिखा है लेकिन मामला अतिक्रमण में फंस गया है।

रवि कुमार, पटना। शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है। सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में पढ़ाई करना उनका हक है। ऐसे में जिले के सरकारी स्कूलों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। कई स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं, जिससे विद्यार्थी और शिक्षक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। स्कूल की छत से पानी टपक रहा तो दीवारों की दरार से खतरा झांक रहा है। इन जर्जर भवनों में पढ़ाई करना खतरनाक है। शौचालयों की स्थिति भी अत्यंत खराब है। कई स्कूलों में विद्यार्थी और शिक्षकों को शौच करने के लिए कक्षा छोड़कर परिसर से बाहर जाना पड़ता है। इन समस्याओं को शीघ्र दूर नहीं किया गया तो न केवल बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी, बल्कि भविष्य में उनके विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
1952 में स्थापित हिंदी बालक मध्य विद्यालय, भंवर पोखर, राजधानी के बीच स्थित है, जहां घनी आबादी है। छात्राओं का कहना है कि स्कूल का शौचालय इतना खराब है कि उसमें जाने पर उल्टी जैसा अनुभव होने लगता है। खंडहर में तब्दील इस शौचालय की छत नहीं है और बच्चे जमीन पर रखी ईंटों पर पैर रखकर शौचालय जाते हैं। इसी स्थान पर बच्चों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था भी है, लेकिन नल के पास हमेशा काई जमी रहती है। बोरिंग का पानी भी पीने योग्य नहीं है।
स्कूल में कार्यरत महिला शिक्षिकाएं पास के मार्केट के शौचालय का उपयोग करती हैं, जिसके लिए उन्हें कक्षा छोड़कर बाहर जाना पड़ता है। स्कूल के मुख्य द्वार पर नगर निगम द्वारा कचरा डंप किया जाता है, जिससे वर्षा के समय रास्ता कचरे से भरा रहता है। इसी रास्ते से बच्चे स्कूल जाते हैं। प्रधान शिक्षक डा. सुनील कुमार गुप्ता ने बताया कि स्कूल में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करने का प्रयास किया जा रहा है। जिला शिक्षा पदाधिकारी साकेत रंजन ने कहा कि जिले में जर्जर स्कूलों की सूची सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से मांगी गई है। शिक्षा विभाग ने जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए राशि जारी की है। सूची प्राप्त होते ही मरम्मत कार्य प्रारंभ किया जाएगा, ताकि बच्चे स्कूल में सुरक्षित महसूस कर सकें और शैक्षणिक माहौल बेहतर हो सके।
कक्षा छोड़कर शौच करने के लिए जाना पड़ता है बाजार में
वहीं मसौढ़ी प्राथमिक विद्यालय सुपहुली का भवन जानलेवा बन चुका है। दो कमरों के विद्यालय में एक में कार्यालय है और एक में पढ़ाई होती है। ये भी कमरे जर्जर हैं। छत का प्लास्टर टूटकर अक्सर गिरता रहता है। मंगलवार को भी कमरे की छत का प्लास्टर गिर गया था। संयोग अच्छा रहा कि कोई चोटिल नहीं हुआ। विद्यालय की जमीन अतिक्रमित होने के कारण इसकी चारदीवारी भी नहीं हो सकी है। विद्यालय की जमीन पर ही आधा अधूरा आंगनबाड़ी केंद्र भवन का निर्माण किया गया है। प्रधानाध्यापक अनिता कुमारी बताती हैं, वर्ष 2003 के पहले ही विद्यालय का भवन बना था।
दो कमरों में से एक में पढ़ाई होती है। कुल 44 बच्चे और प्रधानाध्यापिका समेत तीन शिक्षक हैं। इसके अलावे एक शिक्षा सेवक हैं। जर्जर कमरे के कारण बच्चे बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं। मंगलवार को ही छत का प्लास्टर टूटकर गिर पड़ा। भवन निर्माण के लिए उन्होंने वर्ष 2022 में ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को एक आवेदन दिया था, लेकिन आज तक राशि नहीं उपलब्ध हुई।
2024 में विद्यालय की चारदीवारी हो रही थी, लेकिन ग्रामीणों के विवाद उत्पन्न करने के कारण नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि फिलहाल बच्चों के खेलने के लिए जगह है, लेकिन चारदीवारी के बाद जगह नहीं बच पाएगी। विद्यालय में दो शौचालय हैं और पेयजल के लिए मोटर है। दरवाजे और खिड़की की मरम्मत भी कराई गई है।
डराती कमरे की छत, बरामदे में बैठकर पढ़ाई करते विद्यार्थी
मनेर के शेरपुर स्थित राजकीय मध्य विद्यालय रामपुर का भवन अत्यंत जर्जर स्थिति में है। विद्यालय की चारदीवारी के अंदर तालाब का दृश्य है, जबकि स्कूल का निर्माण अतिक्रमण के कारण रुका हुआ है। पुराना भवन सड़क के अतिक्रमण में बना है, जिससे वर्षा के दिनों में परिसर में जलभराव हो जाता है। भवन की छत से प्लास्टर गिरता है और कई जगहों पर दरारें आ गई हैं। विद्यालय का एकमात्र शौचालय जलभराव के कारण बंद हो चुका है, जिससे छात्राओं को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। प्रधान शिक्षक कृष्ण गोपाल गुप्ता ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कभी-कभी कक्षाएं स्थगित करनी पड़ती हैं। उन्होंने विभाग को भवन निर्माण के लिए दो बार पत्र लिखा है, लेकिन मामला अतिक्रमण में फंस गया है।
छत से गिर रहा प्लास्टर, शौचालय में जलजमाव
वहीं बिक्रम के मोहनचक गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की स्थिति जर्जर है। मात्र दो कमरों वाले इस विद्यालय की एक छत पहले ही गिर चुकी है, जिसे अस्थायी रूप से टीन से ढका गया है। दूसरी छत दरक चुकी है और प्लास्टर गिर रहे। शिक्षक और छात्र भय के माहौल में एक ही कमरे में पढ़ाई करने को विवश हैं। वर्तमान में विद्यालय में 55 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि तीन शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
टूटी खिड़कियां, दरकी दीवारें और एकमात्र शौचालय भी इस्तेमाल के लायक नहीं है। लोगों का कहना है कि सरकार ने नए भवन के निर्माण की पहल की थी, लेकिन भूमि विवाद के कारण मामला अधर में है। अभिभावक अपने बच्चों को इसी खस्ताहाल विद्यालय में भेजने को विवश हैं। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रविकांत शर्मा ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही नए भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा।
मोहनचक प्राथमिक विद्यालय की छत से गिर रहा प्लास्टर
नौबतपुर की प्राथमिक विद्यालय मोतीपुर अब भी खपरैल भवन में ही संचालित हो रहा है। वर्ष 1970 में मोतीपुर गांव निवासी धनपाल सिंह ने छह कट्ठे जमीन दान में दी थी। तीन कमरे के विद्यालय में दो कमरे खपरैल के हैं। इसमें वर्ग पहली से पांचवीं तक की कक्षा संचालित होती है। विद्यालय में 104 बच्चे नामांकित हैं। फर्श टूटने के साथ दीवार जर्जर हो चुकी है, जिससे हादसा होने का खतरा बना रहता है।
प्रभारी प्रधानाध्यापक जयप्रकाश कुमार ने कहा कि खेल मैदान है पर चारदीवारी नहीं होने से मवेशी घुस आते हैं। कई बार चारदीवारी बनाने का कार्य शुरू हुआ पर असामाजिक तत्व जमीन विवादित होने का हवाला देकर काम बंद करा देते। विभाग को सूचना दी गई है।
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