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    शाहीना परवीन ने किशोरियों को शृंगार से पहले संघर्ष का मार्ग चुनने के लिए किया प्रेरित

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 04:46 PM (IST)

    पटना न्यू अजीमाबाद कालोनी की रहने वाली शाहीना द हंगर प्रोजेक्ट के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकार समझा रही हैं। 16 लोगों की टीम के साथ वे आधी आबादी को शिक्षा रोजगार स्वास्थ्य राजनीति और सामाजिक जीवन से जुड़ने के लिए अभियान चला रही हैं। महिला जनप्रतिनिधियों को उनके हक से अवगत कराने का बीड़ा उठा लिया।

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    शृंगार से पहले संघर्ष का मार्ग बता रहीं शाहीन

    अक्षय पांडेय, पटना। बेटियों की जिम्मेदारी विवाह कर पूरी कर लेने पर खत्म। मुखिया जैसा बड़ा दायित्व मिलने पर भी निर्णय लेने की क्षमता सीमित। समाज में आधी आबादी का यह हाल देख शाहीना परवीन ने किशोरियों को शृंगार से पहले संघर्ष का मार्ग चुनने के लिए प्रेरित करना शुरू किया। शिक्षा का महत्व और बाल विवाह के दंश से परिचित कराने की ठान ली। महिला जनप्रतिनिधियों को उनके हक से अवगत कराने का बीड़ा उठा लिया।

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    पटना न्यू अजीमाबाद कालोनी की रहने वाली शाहीना द हंगर प्रोजेक्ट के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकार समझा रही हैं। 16 लोगों की टीम के साथ वे आधी आबादी को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, राजनीति और सामाजिक जीवन से जुड़ने के लिए अभियान चला रही हैं। वर्ष 2006 से अबतक वे पांच हजार किशोरियों और चार हजार महिला जनप्रतिनिधियों को अपने साथ जोड़ चुकी हैं।

    एक स्थान पर पांच वर्ग करती हैं कार्य

    शाहीन अबतक प्रदेश के 19 जिलों में किशोरियों और महिलाओं को उनके अधिकारों से परिचित करा चुकी हैं। एक बार किसी स्थान को चुनाव करने पर उनकी टीम लगातार पांच वर्ष तक वहां कार्य करती है। वह बताती हैं कि वे गांव में पंचायतों के माध्यम से किशोरियों के विषय में जानकारी हासिल करती हैं। इसके बाद सुकन्या क्लब के माध्यम से किशोरियों को 18 साल की उम्र व 12वीं तक की पढ़ाई तक जोड़कर रखती हैं। इस दौरान वे शिक्षा का महत्व, बाल विवाह का दंश, सरकारी योजनाओं के लाभ बेटियों को दिलाती हैं।

    किशोरियों की जन्मतिथि पर बांटती हैं खुशियां

    मूल रूप से झारखंड के दुमका जिले की शाहीना परवीन कहती हैं कि मतदाता न होने के कारण ग्रामीण इलाकों की किशोरियों को उपेक्षित समझा जाता है। हम अपनी टीम के द्वारा उन्हेंं उनकी पहचान से अवगत करा आत्मसम्मान का भाव जगाते हैं। बेटियों की जन्मतिथि का पता लगाकर उनके साथ खुशियां बांटी जाती हैं। शाहीन बालिक होने तक सभी लड़कियों के साथ वे संपर्क में रहती हैं। जरूरत पड़ने पर बेटियां उनसे बातचीत करती हैं। वह कहती हैं कि जो लड़कियों स्वजनों के आदेश पर बिना सोचे-समझे सात फेरे ले लेती थीं, वह अब कम उम्र में विवाह करने से मना करने लगी हैं।

    जनप्रतिनिधियों में निर्णय लेने की क्षमता कर रहीं विकसित

    शाहीना पंचायतों में महिला जनप्रतिनिधियों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर रही हैं। वह कहती हैं कि पहले मुखिया का पद तो मिल जाता है, पर फैसला लेने का हक नहीं। हम जनप्रतिनिधियों को उनकी ताकत से परिचित कराते हैं। उन्हें प्रशिक्षण देकर उनकी जिम्मेदारियों और अधिकारों के प्रति जागरूक करते हैं। भूख, भय और भ्रष्टाचार जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करते हैं। वर्तमान में रोहतास, जमुई, मुजफ्फरपुर और अरवल में किशोरियों एवं महिला जनप्रतिनिधियों को जागरूक कर रही हैं।