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Tejashwi Yadav की महारैली के बाद टेंशन में नेता! नीतीश कुमार के करीबियों ने संभाला मोर्चा, JDU की तरफ से आया बड़ा बयान

Bihar Politics राजद की भव्य रैली के बाद यह संकेत मिल रहा है कि तमाम दिग्गज नेता टेंशन में हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के तमाम करीबियों ने मोर्चा संभाल लिया है। वहीं इसको लेकर बयानबाजी भी तेज है। अशोक चौधरी ने कहा कि जदयू द्वारा वेटेनरी कॉलेज मैदान में पिछले दिनों आयोजित भीम संसद व कर्पूरी जन्म शताब्दी समारोह से भी कम भीड़ थी गांधी मैदान में।

By Jagran News Edited By: Mukul KumarPublished: Mon, 04 Mar 2024 11:07 AM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2024 11:07 AM (IST)
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और सीएम नीतीश कुमार। फोटो- जागरण

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News In Hindi आइएनडीआइए की रविवार को गांधी मैदान में आयोजित रैली पर अपनी प्रतिक्रिया में जदयू (JDU) के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) ने कहा कि जदयू द्वारा वेटेनरी कालेज मैदान में पिछले दिनों आयोजित भीम संसद व कर्पूरी जन्म शताब्दी समारोह से भी कम भीड़ थी गांधी मैदान में।

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आइएनडीआइए की इस रैली में राजद (RJD), कांग्रेस (Congress) व वामदल की सहभागिता थी पर वे लोगों को पटना की रैली में शामिल होने के लिए सहमत नहीं कर सके। अशोक चौधरी ने कहा कि रैली के प्रति लोगों की अरुचि ने यह साबित कर दिया है कि लोगों का समर्थन व समर्पण एनडीए और नीतीश कुमार के प्रति है।

खैरात में मिलने वाली चीज नहीं- उमेश सिंह कुशवाहा

जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने रविवार को कहा कि बिहार की जनता के विश्वास के प्रतीक नीतीश कुमार (Nitish Kumar) हैं। विश्वास कमाया जाता है, यह खैरात में मिलने वाली चीज नहीं है। आइएनडीआइए लाख जनविश्वास रैली कर ले, लेकिन वे लोग जनता के विश्वास को कभी हासिल नहीं कर सकते।

जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि गांधी मैदान की रैली में अपने 20 मिनट के लंबे भाषण में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने एक बार भी अपने माता-पिता के शासनकाल की चर्चा नहीं की।

भाड़े की भीड़ से सत्ता पाने का सपना न देखे राजद-कांग्रेस- राजीव

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने रविवार को राजधानी स्थित गांधी मैदान में आइएनडीआइए की रैली (Jan Vishwas Rally) पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भाड़े की भीड़ से सत्ता पाने का सपना नहीं देखे राजद और कांग्रेस। रैली के बहाने वंशवादियों ने अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन परिणाम शून्य निकला।

रैली में कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने की जगह विपक्ष के नेताओं का पूरा समय रोने-धोने में निकल गया। दावा किया गया था कि रैली में दस लाख लोग जुटेंगे पर 60 हजार लोगों को लाने में मुश्किल हुई।

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