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    तेजस्वी ने चुनाव आयोग की नोटिस का दिया जवाब, मनोज झा बोले- EC का वही हाल होगा जो बांग्लादेश...

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 11:30 PM (IST)

    राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने नाम पर दो मतदाता पहचान पत्र (ईपिक) होने के मामले में निर्वाचन आयोग को लिखित जवाब भेजा है। राजद प्रवक्ता मनोज झा ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने आयोग से प्रणालीगत दोषों को दूर करने का आग्रह किया। झा ने आयोग पर अहंकार का आरोप भी लगाया।

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    दो ईपिक प्रकरण में तेजस्वी ने निर्वाचन आयोग को भेजा जवाब

    राज्य ब्यूरो, पटना। अपने नाम पर दो मतदाता पहचान-पत्र (ईपिक) से संबंधित प्रकरण में राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा निर्वाचन आयोग को लिखित मेंं अपना पक्ष भेज दिया गया है। शनिवार को राजद के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. मनोज झा ने इसकी जानकारी दी। हालांकि, क्या जवाब दिया गया है, इसके बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया।

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    अलबत्ता यह राय दी कि निर्वाचन आयोग को प्रणालीगत दोष को दूर करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी सह पटना सदर के अनुमंडल पदाधिकारी ने नोटिस जारी कर तेजस्वी से 16 अगस्त तक जवाब मांगा था। तेजस्वी को यह तीसरा नोटिस था।

    उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने तीन मई को पहली बार नोटिस भेजकर उस दूसरे ईपिक (RAB2916120) को जांच के लिए मांगा था, जो तेजस्वी ने प्रेस-वार्ता में दिखाया था। आयोग का कहना था कि तेजस्वी के नाम ईपिक नंबर (RAB0456228) जारी किया गया है।

    दूसरा ईपिक आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया प्रतीत होता है। उससे पहले प्रारूप में नाम नहीं होने के तेजस्वी के दावे को भी आयोग निरस्त कर चुका था। दूसरी बार नोटिस मिलने के बाद तेजस्वी ने कहा था कि हम निर्वाचन आयोग को जवाब तो अवश्य देंगे, लेकिन उस पर आयोग को कोई जवाब नहीं सूझेगा। आठ अगस्त को उन्हें तीसरी बार नोटिस मिला था।

    मनोज झा ने चुनाव आयोग को बताया अहंकारी

    बहरहाल मनोज झा का कहना है कि नोटिस के जवाब पर अब निर्णय निर्वाचन आयोग को करना है। हाालांकि, दो ईपिक के सैकड़ों उदाहरण सामने आ चुके हैं। वैसे निर्वाचन आयोग का अहंकार इतना बड़ा है कि कुछ कहा नहीं जा सकता। अहंकार तभी सही होता है, जब आपके अंदर बुद्धि और संवेदनशीलता हो। निर्वाचन आयोग को अज्ञान और अहंकार से मुक्ति पानी चाहिए।

    उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को अपने पूर्व के चुनाव आयुक्तों के कामकाज से सीख लेनी चाहिए, अन्यथा भारत में भी चुनाव आयोग का वही हाल होगा, जो बांग्लादेश चुनाव आयोग का हो चुका है।