Bihar Politics: 'हमारी सरकार बनी तो...', सियासी बिसात पर तेजस्वी यादव ने फेंका एक और पत्ता
पटना में विधान परिषद में दलित सम्मेलन का आयोजन किया गया। तेजस्वी यादव ने आरक्षण सीमा बढ़ाने की बात कही और दलितों से एकजुट रहने का आह्वान किया। कृष्णा अल्लावरु ने संविधान की रक्षा पर जोर दिया। दीपंकर भट्टाचार्य ने दलितों के अधिकारों की लड़ाई को तेज करने का आह्वान किया। मुकेश सहनी समेत कई नेताओं ने सम्मेलन को संबोधित किया।

राज्य ब्यूरो, पटना। प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने शुक्रवार को बिहार विधान परिषद में दलित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार बनी तो आरक्षण की सीमा बढ़ाएंगे। इसके लिए दलितों, पिछड़ों-अतिपिछड़ों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को एकजुट होकर रहना होगा। हम एक होकर रहेंगे तभी सरकार बनेगी।
इस अवसर पर कांग्रेस पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि आज दलितों की स्थिति में जो सुधार हुआ है वह संविधान की बदौलत है। यदि संविधान ही नहीं बचेगा तो दलितों की स्थिति और दयनीय हो जाएगी।
भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि दलितों के अधिकारों और वोटों की लड़ाई और तेज होगी। इसके लिए समाज के हर वर्ग के कमजोर तबकों को तैयार होना पड़ेगा। बिहार में चुनाव से पहले एसआइआर के हमले को जनता नाकाम करेगी। वोट के अधिकार की रक्षा के लिए लड़ाई हम लड़ रहे हैं और इसे जीतना है।
सम्मेलन काे वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी, माले विधायक मनोज मंजिल, अशोक भारती समेत अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया।
दलितों के अधिकार व वोटों को लेकर और तेज होगी लड़ाई : दीपंकर
भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने शुक्रवार को पटना में आयोजित दलित सम्मेलन में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एसआइआर की लड़ाई जीतने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दलितों के अधिकारों और वोटों की लड़ाई और तेज होगी। इसके लिए समाज के हर वर्ग के कमजोर तबकों को तैयार होना पड़ेगा। बिहार में चुनाव से पहले एसआइआर का हमला को जनता नाकाम करेगी। वोट के अधिकार की रक्षा के लिए लड़ाई हम लड़ रहे हैं और इसे जीतना है।
बिहार विधान परिषद के सभागार में आयोजित दलित सम्मेलन में दीपंकर ने डॉ. आंबेडकर द्वारा 1927 में पानी सत्याग्रह और मनु स्मृति को जलाने की घटना की चर्चा की। उन्होंने कहा कि 1936 में जाति उन्मूलन का नारा पूरी मुक्ति के लिए समाज को बदल देने का था। मार्क्स ने भी कहा था कि सबकी मुक्ति में ही मजदूरों की मुक्ति होगी। आरक्षण केवल राजनीति में मिला। शिक्षा और नौकरियों में, मीडिया में, न्यायपालिका में और निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है।
उन्होंने कहा, इसे हासिल करने के लिए युवाओं को लड़ाई लड़नी होगी। जहां आरक्षण लागू है वहां आरक्षण एक बहुत ही छोटे हिस्से को ही मिल पाता है। उन्होंने कहा कि भूमि सुधार भी जरूरी है, ताकि गरीब के हिस्से में जमीन आये और वे आरक्षण का लाभ उठाने की स्थिति में आ सकें। अगर शिक्षा का हक मिले तो हम क्या नहीं हासिल कर सकते। लेकिन, नई शिक्षा नीति गरीबों-दलितों के शिक्षा अधिकार पर हमला है।
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