20 जुलाई तक आ सकती है स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग, पटना के टॉप-20 में शामिल होने की उम्मीद
इस बार पटना की रैंकिंग में सुधार की संभावना है। स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए भारत सरकार के निर्धारित मानकों पर पटना नगर निगम की ओर से बेहतर काम करने का दावा किया गया है। वर्ष 2022 में पटना और पीछे 38वें स्थान पर था। वर्ष 2021 में यह रैंकिंग 44वीं थी।

जागरण संवाददाता, पटना। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 का परिणाम 20 जुलाई तक जारी हो सकता है। इस बार पटना की रैंकिंग में सुधार की संभावना है। पटना को टॉप-20 में जगह मिल सकती है। ऐसी उम्मीद इसलिए कि स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए भारत सरकार के निर्धारित मानकों पर पटना नगर निगम की ओर से बेहतर काम करने का दावा किया गया है।
वर्ष 2023 की स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में पटना 25वें स्थान पर था। वर्ष 2022 में पटना और पीछे 38वें स्थान पर था। वर्ष 2021 में यह रैंकिंग 44वीं थी। 2020 में राजधानी की रैंकिंग सबसे खराब थी। 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की प्रतिस्पर्द्धा में पटना सबसे गंदा शहर घोषित किया गया था।
पटना सबसे आखिरी पायदान 47वें नंबर पर था। हालांकि, इससे सबक लेकर इसके बाद पटना नगर निगम ने साल दर साल स्वच्छता सर्वेक्षण की दिशा में सुधार किया, यही कारण है कि रैंकिंग लगातार सुधार हो रही है।
कचरा प्वाइंट हटाए गए, अब रक्तदान व शपथ ग्रहण
स्वच्छता सर्वेक्षण की दिशा में पहला बड़ा काम 2023 में हुआ जब शहर से 650 कचरा प्वाइंट हटाए गए। पहले इन जगहों पर कचरा जमा रहता था। इससे शहर की छवि पर बुरा असर पड़ रहा था। कचरा प्वाइंट हटाने के बाद इन स्थानों पर नगर निगम की ओर से लगातार रचनात्मक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं।
स्वास्थ्य जांच, सामूहिक भोज, रक्तदान, गंदगी न फैलाने के लिए शपथ ग्रहण समारोह और रंगोली कार्यक्रम का आयोजन दिवस विशेष पर किया जाता रहा है। ये गतिविधियां स्वच्छता सर्वेक्षण के निर्धारित मानकों में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इन कार्यों के आधार पर ही नगर निगम की ओर से 2024 की रैंकिंग में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
वेंडरों पर भी कार्रवाई
पहले सड़क को गंदा करने वाले स्ट्रीट वेंडरों पर कार्रवाई न के बराबर होती थी, पर अब यह आये दिन होती है। उनपर जुर्माना लगाया जाता है। नगर निगम के कर्मी भ्रमण कर लगातार हिदायत भी देते रहते हैं।
कचरा प्रबंधन बड़ी चुनौती
कई मोर्चों पर बेहतर काम के बावजूद कचरा प्रबंधन पटना निगम के लिए बड़ी चुनौती है। कचरे का एक बड़ा हिस्सा लैंडफिल में जमा हो रहा है, जिससे कूड़े के पहाड़ बन रहे हैं। पटना शहर से प्रतिदिन लगभग 1,200 टन कचरा निकलता है, जिसमें जैविक और अजैविक दोनों प्रकार का कचरा शामिल है।
अपर्याप्त योजना और तेजी से शहरीकरण के कारण, पटना में ठोस कचरा प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। खासकर सूखा और गीला कचरा प्रबंधन में, अब भी कमी है। पटना नगर निगम कचरा प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने में विफल रहा है, जिससे शहर में कचरा प्रबंधन की समस्या बढ़ रही है।
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