बिहार SIR मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश... मतदाताओं के अधिकारों की होगी रक्षा
दीपंकर भट्टाचार्य ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह आदेश SIR के अचानक लागू होने के दिन से ही उठाई गई उनकी बुनियादी आपत्तियों और आशंकाओं को सही साबित करता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को बूथ और प्रखंड स्तर पर शिकायत-निवारण और त्रुटि-सुधार शिविर आयोजित करने चाहिए ताकि मतदाताओं को राहत मिल सके।

डिजिटल न्यूज, पटना। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार SIR मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें चुनाव आयोग को निर्देश दिया गया है कि वे सभी नाम विलोपनों का स्पष्ट कारण दर्ज कर सार्वजनिक करें और आधार कार्ड को वैध सहायक दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार करें।
भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह आदेश SIR के अचानक लागू होने के दिन से ही उठाई गई उनकी बुनियादी आपत्तियों और आशंकाओं को सही साबित करता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को बूथ और प्रखंड स्तर पर शिकायत-निवारण और त्रुटि-सुधार शिविर आयोजित करने चाहिए ताकि मतदाताओं को राहत मिल सके।
बिहार के मंटू पासवान जैसे मतदाता, जिन्हें SIR ने "मृत" घोषित कर दिया था, उनके लिए यह मतदाता के तौर पर ज़िंदगी का दूसरा अवसर है। लेकिन उन 35 लाख प्रवासी मज़दूरों का क्या जिनके नाम प्रारूप मतदाता सूची से हटा दिए गए? पीड़ितों पर सुधार के लिए शिकायत दर्ज कराने का बोझ डालने के बजाय, क्या चुनाव आयोग को बूथ और प्रखंड स्तर पर शिकायत-निवारण और त्रुटि-सुधार शिविर आयोजित नहीं करने चाहिए?
साथ ही कहा कि बहिष्कार का पैमाना बहुत बड़ा है, समय बेहद कम है और अधिकांश मतदाताओं को बिना किसी गलती के नाहक दंडित किया गया है। त्रुटियों के सुधार का दायित्व भी उनपर ही डाला जाना चाहिए, जिन्होंने ये गलतियां की हैं। यही है न्याय, निष्पक्षता और पारदर्शिता का वह सिद्धांत, जिसका हवाला चुनाव आयोग ने स्वयं 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने प्रत्युत्तर हलफ़नामे में SIR के मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में दिया था।
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