गैंडा दिवस पर विशेष: पटना जू में अभी 10 गैंडे, विश्व में दूसरा स्थान, गैंडा प्रजनन केंद्र खुला
पटना जू गैंडों की संख्या के मामले में विश्व के चिड़ियाघरों में दूसरे स्थान पर है। यहां 10 गैंडे हैं जिनमें चार नस्ल के छह नर और चार मादा हैं। पहला जोड़ा गैंडा 1979 में असम से लाया गया था। बाद में बेतिया से एक और गैंडा लाया गया। नस्ल सुधार के लिए अन्य चिड़ियाघरों से भी गैंडे लाए गए।

जागरण संवाददाता, पटना। गैंडों की संख्या के मामले में संजय गांधी जैविक उद्यान पटना जू विश्व के चिड़ियाघरों में दूसरे नंबर पर है। सैन डिएगो जू अमेरिका के बाद पटना जू का दूसरा स्थान है। यहां पर गैंडों की संख्या 10 है, जिसमें चार नस्ल के छह नर एवं चार मादा हैं। पटना जू में सर्वप्रथम असम से एक जोड़ा गैंडा नर (कांछा) एवं मादा (कांछी) 28 मई 1979 को लाया गया था। लगभग तीन वर्ष बाद 28 मार्च 1982 को बेतिया से रेस्क्यू किया गया तीसरा गैंडा (नर) राजू पटना जू को प्राप्त हुआ।
पटना जू के उत्कृष्ट प्रबंधन, प्रजनन व बेहतर रख-रखाव के कारण (राजू) एवं (कांछी) के मिलन से आठ जुलाई 1988 को पटना जू में मादा गैंडा (हड़ताली) का जन्म हुआ। इसके बाद राजू एवं कांछी के द्वारा मादा गैंडा (रानी) का जन्म हुआ। इससे जू प्रशासन को अहसास हो गया कि पटना जू में गैंडा प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण है।
1991 तक पटना जू में गैंडों की संख्या पांच हो गई, जो पटना जू के लिए गौरव की बात थी। असम से प्राप्त नर गैंडा (कांछा) एवं मादा (कांछी) के मिलन से 19 दिसंबर 1993 को नर गैंडा (राजा) का जन्म हुआ। 1988 में उद्यान में जन्मी मादा (हड़ताली) ने नौ वर्ष की उम्र में 1997 में एक नर गैंडा (बजरंगी) का जन्म दिया।
नस्ल की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए समय-समय पर वन्यजीव अदला-बदली कार्यक्रम के तहत जू में 2005 में दिल्ली चिड़ियाघर से एक नर गैंडा (अयोध्या) तथा 2007 में सैन डिएगो जू कैलिफ़ोर्निया यूएसए से एक मादा गैंडा (गैरी) एवं शिशु गैंडा (लाली) को लाया गया है।
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