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    Suman Kumar Cricketer: कौन है बिहार का क्रिकेटर सुमन? 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड किया अपने नाम; ऐसा रहा है संघर्ष

    Updated: Tue, 10 Dec 2024 03:34 PM (IST)

    Bihar News बिहार के समस्तीपुर के क्रिकेटर सुमन कुमार ने क्रिकेट जगत में कमाल कर दिया है। उन्होंने स्पिन गेंदबाजी से लोगों को हैरान कर दिया है। 30 नवंबर को बीसीसीआइ की कूच बिहार अंडर-19 क्रिकेट प्रतियोगिता के दौरान अपनी फिरकी से 10 विकेट लेकर सभी को चौंका दिया। दर्शक भी कह उठे कि गेंद सुमन के मन की सुनती है।

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    बिहार के क्रिकेटर सुमन कुमार ने किया कमाल (जागरण)

    अक्षय पांडेय, पटना। Bihar Cricket News: स्पिनर सुमन कुमार के हाथ से गेंद छूटती, बल्लेबाज पवेलियन लौटते। 30 नवंबर को बीसीसीआइ की कूच बिहार अंडर-19 क्रिकेट प्रतियोगिता के दौरान उनकी फिरकी का यह कौशल था कि बाहर जाती दिख रही गेंद अंगुलियों के करिश्मे से अंदर आने लगीं तो, बल्लेबाज असमंजस में पड़कर विकेट गंवाते चले गए। बिहार के समस्तीपुर के 18 वर्षीय क्रिकेटर ने राजस्थान के विरुद्ध एक पारी में सभी 10 विकेट लेकर कीर्तिमान गढ़ दिया।

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    दर्शक भी सहसा कह उठे कि गेंद सुमन के मन की सुनती है, बल्लेबाज फिरकी में फंस ही जा रहे हैं।  समस्तीपुर की क्रिकेट अकादमी आफ समस्तीपुर में ब्रजेश कुमार झा से क्रिकेट का ककहरा सीखने वाले सुमन को बेहतर प्रशिक्षण के लिए कोविड के दौरान दो वर्ष झारखंड के जमशेदपुर और रांची में भी रहना पड़ा।

    वे भारतीय टीम के सदस्य रवींद्र जडेजा और न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर डेनियल विटोरी को आदर्श मानते हैं। विकेट लेने पर ताली बजाकर खुद का उत्साह बढ़ाने वाले सुमन प्रतिदिन छह से सात घंटे अभ्यास कर रहे हैं, लक्ष्य विराट कोहली, रोहित शर्मा, शुभमन गिल जैसे भारतीय टीम के सदस्यों को आउट करने का है।

    उन्हीं के शहर एवं अकादमी से भारतीय अंडर-19 टीम के सदस्य व आइपीएल में राजस्थान रायल टीम के लिए चयनित 13 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी और झारखंड के लिए रणजी व कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए आइपीएल खेलने वाले अनुकूल राय हैं। 

    10 वर्ष की उम्र में ही क्रिकेट में रम गए 

    इस वर्ष बिहार बोर्ड की 12वीं परीक्षा की तैयारी कर रहे सुमन पढ़ाई में स्वयं को औसत मानते हैं। कहते हैं, पांचवीं कक्षा में अध्ययन के दौरान क्रिकेट में मन रमने लगा। समस्तीपुर के सरकारी विद्यालय में शिक्षिका मां माया कुमारी और रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत पिता प्रदीप कुमार ने खेल के लिए पूरा सहयोग दिया।

    वे तीन भाई और एक बहन में दूसरे नंबर की संतान हैं। कहते हैं कि मां आज भी हर मैच से पहले सुबह में फोन कर बेहतर प्रदर्शन के लिए आशीर्वाद देती हैं। पिता कहते हैं कि जमीन से जुड़े रहो। क्रिकेट में अभी लंबा सफर तय करना है। क्रिकेटर के बड़े भाई सोनू कुमार बीटेक, तो छोटा अमन 10वीं में है। बहन खुशबू कुमारी नीट की तैयारी कर रही हैं। 

    जडेजा की गेंदबाजी देख क्रिकेट में दिखा भविष्य 

    सुमन अपनी सफलता में प्रारंभिक प्रशिक्षक ब्रजेश कुमार झा का बड़ा योगदान मानते हैं। घूमती हुई गेंदों से बल्लेबाजों को चकमा देने का श्रेय सुमन पूर्व रणजी खिलाड़ी कुंदन गुप्ता और निशांत कुमार को देते हैं। साफगोई से कहते हैं, मैंने रवींद्र जडेजा को गेंदबाजी करते देख स्वयं का भविष्य क्रिकेट में देखा। एक बार जडेजा से मुलाकात भी हुई।

    सुमन मैदान पर पसीना बहाने के साथ इंटरनेट मीडिया पर जडेजा, डेनियल विटोरी आदि बाएं हाथ के स्पिनरों के वीडियो देख गेंदबाजी के गुर सीखते हैं। प्रशिक्षक ब्रजेश कुमार झा कहते हैं कि सुमन वरिष्ठ खिलाड़ियों की बातें ध्यान से सुनता है। लक्ष्य बनाकर कार्य करता है। उसके अंदर सीखने की ललक अन्य खिलाड़ियों की अपेक्षा अधिक है। 

    योजना पांच विकेट की थी, गेंद ने दिलाए 10 विकेट 

    कूच बिहार ट्राफी में सभी बल्लेबाजों को आउट करने वाले सुमन कहते हैं कि वो दिन शायद मेरा था। मैं मोइनुल हक स्टेडियम में पांच विकेट लेने की योजना बनाकर उतरा था। राजस्थान के बल्लेबाज सोच रहे थे कि मेरी गेंदें बाहर निकलेंगी, पर हुआ उल्टा।

    अंदर आती गेंदों ने पूरी टीम को पवेलियन भेज दिया। बताया कि इसके लिए कड़ा अभ्यास किया था। राजस्थान से पहले असम के विरुद्ध पांच और केरल के विरुद्ध मिले छह विकेट झटकने से आत्मविश्वास बढ़ा था। कूच बिहार प्रतियोगिता के बीते सत्र में सुमन के नाम 18 विकेट थे। इस वर्ष वह 23 बल्लेबाजों को पवेलियन भेज चुके हैं। छह दिसंबर को महाराष्ट्र के साथ बिहार का अंतिम मुकाबला होगा। 

    गाने सुनने और यात्रा के भी हैं शौकीन 

    खाली समय में गाने सुनने और यात्रा के शौकीन सुमन कहते हैं कि 10 विकटों ने मेरी पहचान बना दी है। भारतीय अंडर-19 टीम के कैंप में चयन की उम्मीद है। हो सकता है कि आइपीएल में भी अवसर मिले। सुमन कहते हैं, बिहार के पास क्रिकेट में प्रतिभा की कमी नहीं है। वैभव सूर्यवंशी और अनुकूल राय मेरे ही शहर से निकलकर देश में छाए हैं। क्रिकेटरों के लिए राज्य में थोड़ी और सुविधा की जरूरत है। जैसा कार्य हो रहा है, भविष्य बिहार का ही है।

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