Bihar Politics: राजद के पास 5 तो कांग्रेस के पास 4 मेंबर, तेजस्वी ने जीत ली लीडरशिप की पहली जंग
महागठबंधन में प्रभुता को लेकर चल रहे पहले संघर्ष में राजद को सफलता मिली है। समन्वय समिति में राजद को सबसे ज्यादा सदस्य मिलेंगे। समिति का मुख्य काम सीटों का बंटवारा और न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करना होगा। समन्वय समिति में राजद की अधिक हिस्सेदारी से पार्टी कुछ हद तक आश्वस्त महसूस कर सकती है लेकिन सीटों पर समझौते से पहले कांग्रेस का रुख देखना होगा।
राज्य ब्यूरो, पटना। एनडीए की तुलना में देर से ही सही, लेकिन महागठबंधन की चुनावी तैयारी अब धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है। हालांकि, अंदरखाने प्रभुता की ललक अभी मद्धिम नहीं पड़ी है। बहरहाल, प्रभुता के पहले संघर्ष में राजद सफल रहा है। यह सफलता उसे समन्वय समिति में बड़ी हिस्सेदारी के रूप में मिली है।
कांग्रेस की इच्छा पर महागठबंधन में पहली बार समन्वय समिति बनाई जा रही है, जो चुनाव संबंधी हरेक निर्णय के लिए उत्तरदायी होगी। 17 अप्रैल को हुई पहली बैठक में समन्वय समिति के गठन का निर्णय हुआ था और कमान तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को दी गई थी। उनके अलावा घटक छह दलों से दो-दो सदस्य बनाए जाने थे।
समिति में सबसे ज्यादा सदस्य राजद के
सदस्यों की कुल संख्या 12 होनी थी। तब यही तय हुआ था। अब उस संख्या में संशोधन कर दिया गया है। 24 अप्रैल को हुई दूसरी बैठक में सदस्यों की संख्या 21 रखने पर सहमति बनी, जिनमें सर्वाधिक पांच सदस्य राजद के होंगे। कांग्रेस से चार और बाकी घटक दलों से तीन-तीन सदस्य होंगे।
यद्यपि इसके लिए राजद-कांग्रेस के आलाकमान की सहमति भी आवश्यक होगी, लेकिन सीटों का बंटवारा समन्वय समिति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण काम होगा। दूसरा महत्वपूर्ण काम न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करना है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर ही चुनावी घोषणा-पत्र बनाया जाएगा।
सीटों पर फंस सकती है बात?
चुनाव मैदान में जाने से पहले की इन तीनों महत्वपूर्ण पहलुओं पर आखिरी निर्णय के लिए सर्व-सम्मति आवश्यक होगी। न्यूनतम साझा कार्यक्रम और चुनावी घोषणा-पत्र को लेकर किसी बड़े मतभेद की आशंका तो नहीं, लेकिन सीटों पर समझौते में पसंद और प्रभाव आड़े आएंगे।
ऐसे में दूसरी ओर दबाव बनाने के लिए अपने पक्ष में समन्वय समिति के अधिकतम सदस्यों का समर्थन आवश्यक होगा। सदस्यों की नई संख्या के साथ राजद कुछ आश्वस्त हो सकता है। यह पार्टी के एक नेता का आकलन है।
उनका दावा है कि तीनों वामदलों (भाकपा, माकपा, भाकपा-माले) के साथ विकासशील इन्सान पार्टी के लिए भी ऐसे किसी निर्णय में राजद का हित प्रथम होगा। आशंका का समापन फिर भी नहीं होता, क्योंकि सीटों पर समझौते से पहले कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के चेहरा पर अपना रुख सार्वजनिक करने से रही।
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