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    बिहार में आयुर्वेद की पढ़ाई पर पूरी तरह रोक, पटना वाले कालेज की मान्‍यता भी खत्‍म; पढ़ाने को शिक्षक तक नहीं

    By Pawan MishraEdited By: Shubh Narayan Pathak
    Updated: Fri, 25 Nov 2022 07:59 AM (IST)

    पटना समेत बिहार के दोनों कालेजों में आयुर्वेद की पढ़ाई पर रोक। एनसीआइएसएम ने पटना व बेगूसराय आयुर्वेदिक कालेज को 20222-23 के लिए सशर्त अनुमति देने से किया इन्कार। शिक्षकों के न्यूनतम मानक के अभाव में कार्रवाई दरभंगा में इस वर्ष से पढ़ाई शुरू कराने की मंशा पर फिरा पानी

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    बिहार के सभी आयुर्वेद कालेजों में पढ़ाई पर रोक। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    पटना, जागरण संवाददाता। आयुर्वेद के प्रति बिहार सरकार की बेरुखी का खामियाजा अब छात्र-छात्राओं और आम लोगों को भुगतना पड़ेगा। एक वक्‍त राज्‍य में आयुर्वेद कालेजों की भरमार हुआ करती थी। अब हालत ऐसी बिगड़ गई है कि राज्‍य के एक भी आयुर्वेद कालेज में पढ़ाई की मान्‍यता नहीं रह गई है। 

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    पटना के आयुर्वेद कालेज की मान्‍यता भी रद 

    प्रदेश में 2022-23 सत्र में आयुर्वेद की पढ़ाई की मान्यता रद हो गई है। आयुष मंत्रालय के नेशनल कमीशन फार इंडियन सिस्टम आफ मेडिसिन (एनसीआइएसएम) ने न्यूनतम मानक पूरे नहीं होने के कारण बेगूसराय के साथ पटना स्थित देश के सबसे पुराने व प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक कालेज को भी सशर्त मान्यता देने से इन्कार कर दिया है। इसी के साथ इस सत्र से दरभंगा आयुर्वेदिक कालेज में बीएएमएस की पढ़ाई शुरू करने की मंशा पर भी पानी फिर गया।

    अब केवल एक तरह से बच सकती मान्‍यता 

    गुरुवार को इस बाबत एनसीआइएसएम का पत्र आयुर्वेदिक कालेजों को मिल गया है। अब स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के स्तर से अंडरटेकिंग देने पर ही मान्यता बच सकती है। बताते चलें कि पटना के कदमकुआं स्थित आयुर्वेदिक कालेज में यूजी स्तर पर 84.78 प्रतिशत और स्नातकोत्तर 52.57 प्रतिशत शिक्षक उपलब्ध हैं। स्नातक पाठ्यक्रम में सिर्फ क्रिया शरीर व अगद तंत्र में शिक्षकों की कमी है।

    शिक्षकों की लगातार होती जा रही है कमी 

    स्नातक की 125 व परास्नातक की 49 सीटों की सशर्त मान्यता बरकरार रखने के लिए आवश्यक मानकों के आकलन को एनसीआइएसएम की टीम ने 4 व 5 अगस्त को कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेद कालेज का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान ही शिक्षकों की कमी का मामला उठा था लेकिन पदाधिकारियों ने इसके निराकरण की कोई पहल नहीं की। इससे स्नातक व परास्नातक के छात्र-छात्राओं में आक्रोश है, जिसे दबाया जा रहा है।

    शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्र‍िया जारी रहने का तर्क 

    स्वास्थ्य विभाग के संबंधित पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने निरीक्षण के बाद कमियों की प्रतिपूर्ति के बारे में जो पत्र भेजा था, एनसीआइएसएम ने उसका संज्ञान नहीं लेते हुए यह कार्रवाई की है। शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। इस बाबत अपर मुख्य सचिव की अंडरटेकिंग के बाद दोनों कालेजों में पढ़ाई की मान्यता प्रदान कर दी जाएगी।