FLASHBACK 2016 : घने काले बादलों के किनारे चमकती दिखीं ये लकीरें
बिहार की बात करें तो साल 2016 मुख्यत: नकारात्मक कारणों से चर्चा में रहा। हालांकि, नकारात्मकता के बीच कुछ लोग अपने कार्यों की बदौलत चमक बिखेरते दिखे। आइए नजर डालें।
पटना [अमित]। साल 2016 में बिहार मुख्यत: नकारात्मक कारणों से चर्चा में रहा। लेकिन, निराशा के इन घने काले बादलों के किनारे कुछ लकीरें भी चमकती दिखीं। अंधकार के बीच कुछ सितारे झिलमिलाते दिखे। बिहार को अपनी इन प्रतिभाओं की उपलब्धियों पर गर्व हुआ। कुछ लोगों ने हौसले के बलपर अन्याय का प्रतिकार कर मिसाल कायम की। साल 2016 में उनके कार्यों को देश व दुनिया ने सराहा। आइए देखें...
बिहार ने दिया अंडर 19 क्रिकेट का कप्तान
बिहार ने 2016 में ईशान किशन के रूप में भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम को उसका कैप्टन दिया। ईशान विकेटकीपर और बल्लेबाज है। भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होने से पहले वह झारखंड की ओर से खेलता था। वह मूल रूप से बिहार के नवादा जिले का रहने वाला है।
पिता धोते हैं कपड़े, बेटा बना हॉकी का नेशनल प्लेयर
लगन हो तो प्रतिभा निखरती जाती है। इसे साबित कर दिखाया है बिहार के रोहतास निवासी पंकज कुमार रजक ने। गरीबी में पले-बढ़े धोबी के इस बेटे ने पहले झारखंड व अब भारतीय हॉकी टीम में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना बिहार का मान बढ़ाया है। वह बिहार के रोहतास जिला के तिलौथू का मूल निवासी है। उसके पिता बच्चों को पढ़ाने व रोजी-रोटी के लिए वे 10 वर्ष पूर्व झारखंड के पतरातू-हजारीबाग में चले गए थे।
वह भारतीय हॉकी टीम में अंडर 19 व नेशनल अंडर 21 टीम में शामिल हुआ। गत वर्ष 18 से 26 जुलाई तक हालैंड में आयोजित वॉल्वो इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भी शामिल हो चुका है।
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लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन उभरीं भावना
भारतीय वायुसेना के इतिहास में 18 जेन का दिन खास था। उस दिन वायुसेना में तीन महिला फाइटर पायलेट को कमीशन मिला। इसके पहले महिलाओं को फाइटर पायलेट बनने का मौका नहीं मिला था। इन तीन पायलेट्स में एक बिहार के दरभंगा दरभंगा जिला अंतर्गत घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव की निवासी भावना कंठ भी थीं।
भावना बिहार ही नहीं, पूरे देश की लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनकर उभरी। उसने बताया कि मुश्किल कुछ नहीं होता। सपने बड़े देखने चाहिए और कभी खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं, जरूरत है आत्मविश्वास की।
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इन्होंने हौसले के बल पर शहाबुद्दीन को दी चुनौती
बिहार के सिवान निवासी व्यवसायी चंदा बाबू की चर्चा बगैर साल 2016 की कहानी अधूरी रहेगी। चंदकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू हौसले के बाल पर अन्याय के खिलाफ जंग के आइकॉन बनकर उभरे।
सिवान के बाहुबली व पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के आदेश पर उनके दो बेटों की एसिड से नहलाकर हत्या कर दी गई। फिर दोनों के शव टुकड़े-टुकड़ कर नमक भरे बोरों में भरकर फेंक दिए गए। इस चर्चित एसिड बाथ डबल मर्डर में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा मिली। इस बीच हत्याकांड के गवाह उनके तीसरे बेटे की भी हत्या कर दी गई। इस मामले में भी शहाबुद्दीन को आरोपी बनाया गया। इस बीच शहाबुद्दीन हाईकोर्ट से बेल मिलने के बाद जेल से छूटकर सिवान पहुंच गया।
शहाबुद्दीन के सिवान पहुंचते ही वहां दहशत का माहौल बन गया। लेकिन चंदा बाबू ने हिम्मत नहीं हारी। उनके हौसले को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण का साथ मिला। चंदा बाबू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन की बेल रद कर दी। उसे फिर जेल जाना पड़ा। अब चंदा बाबू चाहते हैं कि शहाबुद्दीन को सिवान जेल से तिहाड़ जेल तथा उसके मुकदमों को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए। इस संबंध में उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
चंदा बाबू की तरह शहाबुद्दीन के खिलाफ हौसले के बल पर एक महिला की जंग भी चर्चा में रही। सिवान के ही एक पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या अपराधियों ने गोली मारकर कर दी। इस मामले में मृतक पत्रकार की पत्नी आशा रंजन ने शहाबुद्दीन की संलिप्तता की आशंका जताई है। आशा रंजन ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल व मुकदमों को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग रखी है।
चुनावी चाणक्य बनकर उभरा यह प्राफेशनल
बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के लिए चाणक्य की भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर को सरकार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का परामर्शी नियुक्त किया।
प्रशांत यूनाइटेड नेशन्स के हेल्थ वर्कर रहे हैं। वे 2011 में भारत लौटने के बाद राजनीतिक दलों के इलेक्शन कैम्पेन संभालने लगे। उन्होंने नीतीश कुमार के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी काम किया था। साल 2016 में वे इलेक्शन कैंपेन के स्टार बनकर उभरे।
प्रशांत बिहार के बक्सर जिला के रहने वाले हैं। आगे वे पंजाब व यूपी के चुनाव में भी राजनीतिक दलों के कैंपेन संभालने वाले हैं।
नारी सम्मान के लिए रियल लाइफ नायिका बनीं दबंग गर्ल
सिने जगत की बात करें तो बिहार के लिए यह साल भोजपुरी फिल्मों के नाम रहा। बॉलीवुड की बात करें तो कुछ विवाद जरूर पैदा हुए। निर्माता निर्देशक प्रकाश झा की फिल्म राजीतितिक विवादों में फंसती दिखी। पटना के भाजपा विधायक नितिन नवीन ने फिल्म में खुद के इमेज खराब किए जाने का आरोप लगा रोक के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया, हालांकि उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। फिल्म 'उड़ता पंजाब' में नायिका के डायलॉग्स बिहार की ओर बरबस ध्यान खींचते दिखे।
लेकिन विवादों के बीच गर्व का अहसास दे गईं अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा। बॉलीवुड की दबंग बिहारी गर्ल सोनाक्षी सिन्हा से किसी फैन ने ट्विटर सवाल किया, ''सोनाक्षी, हम लोगों को तुम अपनी बॉडी कब दिखाओगी? तुम बिकीनी कब पहनने वाली हो?'' इसपर सोनाक्षी ने करारा जवाब दिया। लिखा, ''यही बात तुम अपनी मां और बहन से भी पूछना। इसके बाद मुझे बताना कि वो क्या कहती हैं।''
बाद में सोनाक्षी सिन्हा ने अपना उक्त ट्वीट डिलीट करते हुए लिखा, ''मैं अपना ट्वीट डिलीट कर रही हूं, क्योंकि उसने माफी मांग ली है। उम्मीद है वह और उसके जैसे सीख गए होंगे कि महिला का प्रोफेशन जो भी हो, लेकिन हमेशा उसका सम्मान करना चाहिए।'' सोनाक्षी ने अपने बोल्ड अंदाज में महिला अधिकार व सम्मान की लड़ाई अपने तरीके से लड़ी। इस विवाद के बीच वे रियल लाइफ नायिका बनकर उभरीं।
बिहार की बेटी को पेटीएम की कमान
बिहार की अनेक महिलाओं ने देश-दुनिया में मिसाल पेश की है। बाधाओं का सीना चीर वे सदा आगे बढ़ती रही हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया समस्तीपुर की शिंजनी कुमार ने। एक किसान परिवार में पैदा हुई पेटीएम की सीईओ बनी हैं। इसके पहले वे प्राइस वाटर्सहाउस कूपर्स में कार्यकारी निदेशक रह चुकी हैं।
शराबबंदी ने बढ़ाया नीतीश का कद
बात राजनीति की हो तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चर्चा जरूरी है। उन्होंने राज्य में पूर्ण शराबबंदी का फैसला कर साहसिक कदम उठाया। बीते पांच अप्रैल से लागू इस कानून में सुधार की मांग भी उठी है। लेकिन, शराबबंदी का विरोध नहीं। इसे मिले समर्थन के बल पर नीतीश अब पूरे देश में शराबबंदी की मांग छठा रहे हैं। इससे उनकी राष्ट्रीय छवि बन रही है तथा लोग उन्हें पीएम मोदी के प्रबल प्रतिस्पर्धी के रूप में भी देखने लगे हैं।
पटना के डीएम को मिला चुनाव आयोग का अवार्ड
भारत निर्वाचन आयोग ने 'सर्वश्रेष्ठ निर्वाचन प्रक्रिया अवॉर्ड 2015' के लिए 'टॉप 3' जिलाधिकारियों की सूची जारी की। पटना के डीएम संजय कुमारअग्रवाल इसमें शामिल किए गए। यह चयन चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से और बगैर हिंसा के संपन्न कराने के लिए किया गया। 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखजी ने उन्हें यह अवॉर्ड प्रदान किया।
पेंटिंग, संगीत के साथ समाज सेवा में बनाई पहचान
निशि सिंह दिल्ली के प्रजिडियम व मदर्स प्राइड स्कूल ग्रुप में बिजनेस डेवलपमेंट डायरेक्टर हैं। उन्होंने पेंटिंग व संगीत के साथ-साथ समाज सेवा में भी अपनी पहचान बनाई है। समाज सेवा उनका पैशन है तो आम आदमी की व्यथा को उकेरती उनकी पेंटिंग्स देश-विदेश में सराही जा चुकी हैं।
उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में इस साल राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया। ताज महोत्सव सहित कई बड़े मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करती आवाज उनकी खास पहचान है। टीवी के पैनल डिस्कशन कार्यक्रमों में भी उन्होंने दमदार उपस्थिति दर्ज की है।
दरभंगा के मूल निवासी वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी आलोक कुमार की पत्नी निशि कहती हैं कि उन्होंने अपने दम पर मुकाम हासिल किया है।
27 सालों से बच्चों को पर्यावरण मित्र बनाता एक मसीहा
पटना के फादर राबर्ट ने करीब 27 वर्ष पहले तब पर्यावरण संरक्षण का अभियान आरंभ किया था। मूलत: केरल के रहने वाले राबर्ट ने 'तरूमित्र' नामक संस्था बनाई और स्कूली बच्चों के साथ अपनी मुहिम शुरू की। 27 सालों से वे बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
1996 में उन्होंने तीन एकड़ जमीन पर नर्सरी बनाई, जो आज 12 एकड़ में फैल चुका है। 'तरूमित्र' को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2005 में संयुक्त राष्ट्र संघ में विशेष सलाहकार सदस्य के तौर पर आमंत्रित किया जा चुका है।
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