Updated: Sat, 17 Feb 2024 03:16 PM (IST)
Bihar Political News राहुल गांधी के हर भाषण में लगभग एक जैसा ही संवाद होता है। संभवत वे आज के समय में उन्हीं बातों को महत्वपूर्ण व वजनदार बनाना चाह रहे हों। अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पहले चरण में सीमांचल में उन्होंने जो बातें की उसे ही दूसरे चरण में औरंगाबाद से कैमूर जिला तक दोहराते रहे।
वे पहले की अपेक्षा ज्यादा दमदार आवाज से आक्रामक रहे।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के हर भाषण में लगभग एक जैसा ही संवाद होता है। संभवत: वे आज के समय में उन्हीं बातों को महत्वपूर्ण व वजनदार बनाना चाह रहे हों। अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पहले चरण में सीमांचल में उन्होंने जो बातें की, उसे ही दूसरे चरण में औरंगाबाद से कैमूर जिला तक दोहराते रहे।
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हालांकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर वे पहले की अपेक्षा ज्यादा दमदार आवाज से आक्रामक रहे और कुछ अधिक सुलझे हुए ढंग से उन्होंने किसानों-नौजवानों से वादे भी किए। जन-समूह व विशेषकर किसानों से उन्हें प्रतिक्रिया भी अच्छी मिली।
किसान पंचायत में किए गए उनके चार वादों पर देर तक तालियां गड़गड़ाती रहीं
किसान पंचायत में किए गए उनके चार वादों पर देर तक तालियां गड़गड़ाती रहीं। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दूसरे चरण में राहुल के चार कार्यक्रम महत्वपूर्ण रहे। पहला, औरंगाबाद की जनसभा। दूसरा, सासाराम में रोड-शो। तीसरा, रोहतास जिला के टिकारी में किसान पंचायत और चौथा, कैमूर जिला के धनेक्षा में राजद द्वारा सजाई गई जनसभा। पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह इसके कर्ता-धर्ता थे। जुटान वाले चेहरों में भी राजद के कार्यकर्ता अधिक थे और उनके बीच भाकपा (माले) के झंडाबरदार भी।
इस जनसभा से साथ-सहयोग के लिए राहुल ऐसे आश्वस्त हुए कि राजद के झंडे लहरा रहे लोगों के सामने कांग्रेस का बड़ा झंडा लेकर आए साथी को आंखों के इशारे से रोक देते हैं। नौजवानों को नौकरी व रोजगार का आश्वासन देकर कम समय में ही अपने भाषण को विराम देते हैं, यह कहते हुए कि बहुत कुछ तेजस्वी स्पष्ट कर चुके हैं। तेजस्वी उनसे पहले बोल चुके थे।
किसान पंचायत में सुरेश द्वारा दिए गए आवेदन को राहुल बड़े गौर से पढ़ते हैं और कांग्रेस के सत्ता में आने पर किसानों के हित में निर्णय लिए जाने की गारंटी देते हैं। भारत माला परियोजना के लिए मनमाने तरीके से भूमि अधिग्रहण, धान खरीद की लचर व्यवस्था, किसानों-मजदूरों के हितों की अनदेखी आदि की किसानों ने शिकायत की। कांग्रेस के सत्ता में आने पर राहुल ने वैसी शिकायतों के लिए नौबत नहीं आने देने का वादा किया।
किसानों की मांग
01. कृषि भूमि का अधिग्रहण न हो। अधिग्रहण पर मुआवजा बाजार मूल्य के हिसाब से मिले। 02. बसावट वाली भूमि का किसी भी हाल में अधिग्रहण नहीं हो। ऐसा कानून में लिखा जाए। 03. सड़क की दोनों ओर सर्विस रोड हो, ताकि खेत तक कृषि यंत्र लाया-ले जाया जा सके। 04. बड़ी नहर की पहुंच से अछूते खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए छोटी नहर का निर्माण हो।
किसानों से राहुल के वादे
01. भूमि अधिग्रहण कानून बनेगा। भूमि लिए जाने पर बाजार मूल्य से चार गुना अधिक मुआवजा दिया जाएगा। 02. न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी होगी। इसके लिए कानून बनाकर किसानों का हित सुरक्षित किया जाएगा। 03. प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनने पर बिहार में भूमि का सर्किल रेट तय करने के लिए कानून बनेगा। 04. किसानों व श्रमिकों के साथ उनके परिवार के हित और उनकी निश्चित आय के लिए उचित व्यवस्था होगी।
राहुल की बातें : - केंद्र सरकार में रिक्त सभी पदों पर नियुक्ति होगी। मानदेय के आधार पर आर्थिक शोषण नहीं होगा। - अग्निवीर योजना से पीड़ित 1.50 लाख युवाओं के लिए उचित व्यवस्था होगी। उन्हें विकल्प मिलेगा। - बिहार के युवा ठेके पर नौकरी-काम के लिए विवश हैं। परीक्षा पर परीक्षा देकर भी भला नहीं हो रहा। इस देश के डीएनए में भाईचारा है, नफरत नहीं। भाजपा नेताओं के चेहरे पर हमेशा तल्खी दिखती है।
जातिगत जनगणना होगी। इस आधार पर सभी वर्गों हेतु सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित होगा। - बड़े पदों पर पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति के चेहरे नहीं के बराबर हैं। यह अन्याय है। - मीडिया में मोदी व उनके लोग दिखते हैं और कभी-कभी नीतीश भी, लेकिन राहुल-तेजस्वी नहीं दिखते।
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