मंदिर दर्शन से राहुल-तेजस्वी ने दिया सियासी संदेश! BJP की मंदिर राजनीति के बीच संतुलन साधने के प्रयास
औरंगाबाद में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा के दूसरे दिन देवकुंड सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने सर्वधर्म समभाव और सामाजिक एकता का संदेश दिया। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम महागठबंधन की एकता और भाजपा की मंदिर राजनीति का जवाब है। तेजस्वी यादव ने सूर्य मंदिर की विशेषता पर प्रकाश डाला और बताया कि यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से खास है।

सुनील राज, पटना। SIR के खिलाफ वोटर अधिकार यात्रा पर निकले राहुल गांधी-तेजस्वी यादव ने SIR के खिलाफ सेामवार को औरंगाबाद के देव रोड के अंबा कुटुंबा से दूसरे दिन की यात्रा शुरू की।
पहले दोनों नेता औरंगाबाद के प्रसिद्ध देवकुंड सूर्य मंदिर पहुंचे और पूजा अर्चना कर दोनों नेताओं ने सर्वधर्म समभाव और सामाजिक एकता का संदेश दिया। इसके बाद अपनी यात्रा की शुरुआत की।
विश्लेषक मानते हैं कि राहुल गांधी और तेजस्वी का मंदिर जाना महज धार्मिक आस्था से जुड़ा विषय नहीं, अपितु इसका एक राजनीतिक संदेश भी है। दोनों नेताओं के इस कदम से यह बात साफ हो चली है कि दोनों नेता महागठबंधन की एकता के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध हैं।
वहीं यह कदम भाजपा की मंदिर राजनीति का जवाब भी है। दोनों नेताओं ने मंदिर में पूजा अर्चना कर जता दिया कि महागठबंधन के लिए धार्मिक सौहार्द सबसे पहले है। वे परंपरा और विकास को साथ लेकर ही प्रगति की राह पाई जा सकती है।
सूर्य मंदिर में दर्शन कर दोनों नेताओं ने बिहार की प्रगति, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। सूर्य मंदिर में दर्शन के बाद तेजस्वी यादव ने सूर्य मंदिर की विशेषता पर प्रकाश भी डाला।
उनके अनुसार आमतौर पर सूर्य मंदिर पूर्व दिशा की ओर होते हैं, लेकिन देव का यह मंदिर पश्चिमाभिमुख है। यही कारण है कि यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। मंदिर प्रशासन की ओर से राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का सम्मान भी किया गया और उन्हें मंदिर की तस्वीर भेंट की गई।
सुबह जब राहुल और तेजस्वी सूर्य मंदिर पहुंचे तो दोनों दलों के पार्टी नेताओं ने अपने नेताओं को उत्साहपूर्वक स्वागत किया। इन नेताओं के साथ VIP के संस्थापक और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी भी नजर आए। पूजा-अर्चना और परिक्रमा के बाद राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का काफिला रफीगंज की ओर रवाना हो गया।
विपक्ष की राजनीति के दो प्रमुख चेहरों के मंदिर दर्शन के बाद चर्चा इस बात को लेकर है कि मंदिर दर्शन सिर्फ आस्था का विषय है या इसके पीछे सोची-समझी चुनावी रणनीति छिपी है। कांग्रेस और राजद की इस साझा मौजूदगी को लोग गठबंधन की मजबूती और जनता से सीधे जुड़ाव की कोशिश के रूप में भी देख रहे हैं।
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