एक था मोहन: बिहार की जेलों में बंद कैदियों को मिलेगा 'बापू ज्ञान'... आइए जानें...
राष्ट्रपिता के जीवन से जुड़ी हैं दो किताबे... एक था मोहन और बापू की पाती। इन दोनों किताबों के माध्यम से बिहार की जेलों में बंद कैदी उनके जीवन से जुड़ी कहानियां सुनेंगे कैदी।
पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन] । बिहार की जेलों में कैदियों को मिलेगा बापू ज्ञान। जेलों में दो सितंबर से लगातार एक महीने यानी दो अक्टूबर तक उन्हें बापू के जीवन से जुड़ीं कहानियां सुनाई जाएंगी। उनके जीवन से संबंधित दो पुस्तकें- 'एक था मोहन' और 'बापू की पाती' कैदियों को पढ़कर सुनाया जाएगा।
इसके पहले विद्यालयों में हुआ था कथा वाचन
कारा विभाग ने इस योजना को अंतिम रूप दे दिया है। जेल अधीक्षकों से यह रिपोर्ट ली जा रही है कि उन तक यह पुस्तकें पहुंची या नहीं। इसके पूर्व चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह के मौके पर राज्य के सभी विद्यालयों में प्रार्थना के समय बापू से जुड़ी कहानी का वाचन शुरू कराया था। कैदियों के बीच यह पहला प्रयोग है।
इसे भी पढ़ें: हे रे कन्हैया, किसको कहेगा तू मैया... एक हिंदू तो दूसरी मुस्लिम मां जता रहीं हक
जेलों को भेज दी गई हैं पुस्तकें
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती से संबंधित समारोह का आयोजन अक्टूबर 2020 तक होना है। कारा विभाग ने जन शिक्षा निदेशक से अनुरोध किया है कि दोनों पुस्तकों की दो-दो प्रति जेलों के हिसाब से उपलब्ध कराए जाएं। रिपोर्ट के अनुसार पुस्तकें जेलों तक पहुंच गई हैैं। कारा अधीक्षकों को अपने जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (साक्षरता) के सहयोग से कथा वाचन कार्यक्रम का संचालन किया जाना है।
एक था मोहन और बापू की पाती
एक था मोहन पुस्तक बिहार सरकार की परियोजना रही है। सोपान जोशी ने इस पुस्तक को लिखा है और आइटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर ने इसे प्रकाशित किया है। गांधी जी के जीवन से जुड़ी बातें काफी रोचक तरीके से इस पुस्तक में हैै। मसलन 34 छात्रों में मोहनदास करमचंद गांधी 32 वें नंबर पर रहते थे। बापू की पाती पुस्तक में बापू के जीवन से जुड़ी 45 कहानियां हैैं। इनमें महात्मा गांधी के खास कार्य, विचार और आंदोलनों में उनकी सक्रियता के बारे में बताया गया है।