Bihar: पीके बोले, लालू से सीखे कोई बच्चों की चिंता करना; मांझी ने कहा- तेजस्वी का परिवार कैंसर प्रोडक्ट
प्रशांत किशोर ने बयान में कहा कि लालू प्रसाद को अपने बेटे तेजस्वी यादव की चिंता है जो नौवीं पास भी नहीं है जबकि बिहार के पढ़े-लिखे बच्चों को नौकरी नही ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, पटना। जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि बच्चों की चिंता करना कोई लालू प्रसाद से सीखे। बेटा (तेजस्वी यादव) नौवीं पास भी नहीं है, फिर भी लालू को चिंता है कि वह बिहार का राजा बन जाए।
उन्होंने आगे कहा, दूसरी तरफ बिहार के आम लोग हैं, जिनके बीए-एमए पास बच्चों को नौकरी नहीं मिल रही। हैरानी की बात यह कि आम लोगों को इसकी चिंता नहीं। अब भी बिहार के लोग जाति और धर्म में उलझे हुए हैं। बयान के बाद शाम में पीके एक इफ्तार पार्टी में सम्मिलित हुए।
जसुपा के विधान पार्षद आफाक अहमद और पूर्व विधान पार्षद रामबली चंद्रवंशी ने इसका आयोजन किया था। वहां मीडिया से बातचीत में पीके ने कहा कि अगर संसद से वक्फ संशोधन कानून पास होता है तो इसके लिए भाजपा के साथ नीतीश कुमार भी जिम्मेदार होंगे।
पीके ने कहा कि जदयू के पास इस कानून को पास होने से रोकने के लिए पर्याप्त संख्या है। जसुपा इस कानून के विरुद्ध है।
मांझी ने भी लालू परिवार को घेरा
हम के संरक्षक एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव के बयान की निंदा करते हुए उन्हें और उनके परिवार को राजनीति से संन्यास लेने को कहा है।
मांझी ने मंगलवार को एक्स पर लिखा- जिस चुनाव आयोग के द्वारा आयोजित मतदान की प्रक्रिया से तेजस्वी यादव और उनके परिवार के लोग विधायक, सांसद बनें हैं अब उसी चुनाव आयोग को तेजस्वी यादव के द्वारा कैंसर बताना शर्मनाक है। यदि तेजस्वी जी की नजर में चुनाव आयोग कैंसर है तो तेजस्वी यादव और उनके परिवार के लोगों को कैंसर प्रोडक्ट माना जाएगा और ऐसे कैंसर प्रोडक्ट को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।
एनसीआरबी के नाम पर अपराध का फर्जी आंकड़ा परोस रहे तेजस्वी: नीरज
दूसरी ओर, जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की ओर से जारी अपराध के आंकड़े को चुनौती दी है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने 2025 के लिए अपराध का आंकड़ा जारी ही नहीं किया है। तेजस्वी किस आधार पर पिछले 20 साल के अपराध का आंकड़ा जारी कर रहे हैं। उसे एनसीआरबी का आंकड़ा बता रहे हैं।
मालूम हो कि सोमवार को तेजस्वी ने दावा किया था कि पिछले 20 वर्षों में 60 हजार लोगों की हत्या हुई है। वे इसे नेशलन क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा बता रहे थे। नीरज ने कहा कि एनसीआरबी की 2023 की रिपोर्ट में 2022 तक का ही आंकड़ा उपलब्ध है।
उन्होंने एनसीआरबी के आंकड़े के आधार पर कहा कि राज्य में 2006 से 2022 के बीच हत्या की 52, 249 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 1990 से 2005 के बीच 67, 249 लोगों की हत्या हुई। इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में हत्या की वारदातें कम हुईं।
नीरज ने केंद्र ओर राज्य सरकार के अपराध रिकार्ड के हवाले से कहा कि 1990-2005 के बीच राज्य में पुलिसकर्मियों पर 5330 हमले हुए। इस क्रम में 1901 पुलिसकर्मी बलिदान हुए। 321 पुलिस थाने पर हमले हुए। नक्सली हमले की संख्या 2448 थी। 2006-2022 के बीच 1245 पुलिसकर्मियों पर हमले हुए।
317 पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी। पुलिस थानों पर 210 हमले हुए। नक्सली हमलों की संख्या 753 रही। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जनता को गुमराह कर रहे हैं। एनसीआरबी के नाम पर फर्जी आंकड़ा परोस रहे हैं।

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