Prashant Kishor: जेल से छूटने के बाद आया प्रशांत किशोर का पहला रिएक्शन, बताया आगे का पूरा प्लान
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को पटना के बेऊर जेल से बिना शर्त जमानत मिल गई है। उन्होंने कहा कि जन बल के आगे कोई बल नहीं है और अनशन जारी रहेगा। अब यह मामला पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ही निपटेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे दिन के अनुभव में मैंने ये देखा कि सैकड़ों पुलिस वाले जनसुराजी हैं।

राज्य ब्यूरो, पटना। पटना के बेऊर जेल से छूटने के बाद जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने सोमवार की शाम प्रेसवार्ता बुलाकर संकेत में ही सही, लेकिन सत्ता को चुनौती दी है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जन बल के आगे कोई बल नहीं है।
पीके ने यह भी कहा कि अनशन आगे भी जारी रहेगा और अब यह मामला पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ही निपटेगा। प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि दो घंटे पहले जिस पीके को बिहार पुलिस पकड़ कर जेल ले गई थी। कोर्ट में न्यायालय ने हमें अनकंडीशनल बेल दिया है।
उन्होंने कहा, मैं अपनी बातों में हमेशा कहता हूं कि जन बल के आगे कोई बल नहीं है। जनता के लिए किया गया सत्याग्रह का प्रभाव है। आश्चर्यजनक बात है कि जिस प्रशांत किशोर को पुलिस ने डिटेन किया। पुलिस के अनुसार, कोर्ट ने कंडिशनल बेल दिया। इसे हमने अस्वीकार किया। पुलिस मुझे बेउर जेल ले गई, लेकिन मुझे बेउर जेल में नहीं रखा। पुलिस के पास पेपर ही नहीं था। उस पेपर के प्रतीक्षा में बैठे रहे।
गांधी मैदान में बैठकर शांतिपूर्ण सत्याग्रह किसी कानून का उल्लंघन नहीं है। पूरे दिन के अनुभव में मैंने ये देखा कि सैकड़ों पुलिस वाले जनसुराजी हैं। एम्स में डॉ. ने कहा कि हम तीन वर्ष से जनुसराजी हैं।
पीके को बिना शर्त मिली जमानत
उल्लेखनीय है कि पटना में जन सुराज पार्टी के संस्थापक पीके को बेऊर जेल से बिना शर्त जमानत मिल गई है। बेल बांड भरने से इनकार करने के बावजूद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है। पीके को बेल बॉन्ड भरने से इनकार करने के कारण बेऊर जेल भेजा गया था।
धरने पर क्यों बैठे थे प्रशांत किशोर?
गौर हो कि बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) की परीक्षा को रद्द कराने के लिए गांधी मैदान में पिछले दो जनवरी से पीके पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे हुए थे। प्रतिबंधित क्षेत्र में आमरण अनशन कर रहे पीके को पटना के जिला प्रशासन ने कई बार हिदायत दी थी कि अगर उन्हें धरना ही देना है तो वह हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित स्थल गर्दनीबाग में जाकर आमरण अनशन करें।
जिला प्रशासन की तरफ से नोटिस जारी किए जाने के बाद भी पीके अपनी जिद्द पर अड़े रहे। अंत में जिला प्रशासन के निर्देश पर पटना पुलिस ने छह जनवरी की सुबह पीके को गांधी मैदान से गिरफ्तार कर लिया। पीके को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उनका मेडिकल टेस्ट कराने के बाद उन्हें पटना सीविल कोर्ट के समक्ष पेश किया था।
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