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Lok Sabha Election 2024: बिहार में का बा? चुनाव से पहले ग्राउंड बनाने में जुटी BJP-RJD, इस काम पर कर रही फोकस

Lok Sabha Election 2024 चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियां नारों पर जोर दे रही है। चुनावी नारों का अपना मनोविज्ञान अपनी ताकत है। ये राजनीतिक दलों के लिए उत्प्रेरक का काम करते हैं। समर्थकों को इनसे अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है। 1952 से अब तक के चुनाव में जीत हो या हार नारों की बहार रही है।

By Dinanath Sahani Edited By: Arijita Sen Published: Mon, 01 Apr 2024 11:44 AM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2024 11:44 AM (IST)
बिहार में चुनाव से पहले नारों को धार देने में जुटीं पार्टियां।

दीनानाथ साहनी, पटना। चुनावी नारों का अपना मनोविज्ञान है। अपनी ताकत है। ये राजनीतिक दलों के लिए उत्प्रेरक का काम करते हैं। समर्थकों को इनसे अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है। 1952 से अब तक के चुनाव में जीत हो या हार, नारों की बहार रही है।

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राजनीतिक पार्टियां इन नारों पर दे रही जोर

भाजपा ने 2014 और 2019 की तरह ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर नारे तैयार किए हैं। इसमें मोदी की गारंटी, अब की बार 400 पार, तीसरी बार मोदी सरकार, मोदी है तो मुमकिन है जैसे नारे सर्वाधिक चर्चित हैं।

वहीं विपक्षी दलों द्वारा रोजगार, बेरोजगारी और नौकरी जैसे मुद्दों पर नारे गढ़े जा रहे हैं। ये नारे अपने-अपने तरीके से युवाओं के साथ-साथ पिछड़े एवं दलित वर्ग के मतदाताओं को लामबंद करने में मददगार बनेंगे या टांय-टांय फिस्स साबित होंगे, यह चुनाव परिणाम से स्पष्ट होगा।

चुनाव में नारों का जादू

इस बार, मोदी संग बिहार है तो आइएनडीआइए (इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) का नारा है-भाजपा हटाओ, देश बचाओ और लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ। विपक्ष महंगाई, रोजगार, पिछड़े एवं दलित वर्ग को नारे के जरिए लामबंद करने में भी जुटा है।

पिछले चुनाव में भाजपा के ये नारे भी जनता के सिर चढ़ कर जादू दिखाया था-मोदी है तो मुमकिन है। अबकी बार, फिर मोदी सरकार। अच्छे दिन आने वाले हैं। सबका साथ, सबका विकास। हर-हर मोदी, घर-घर मोदी। वहीं मोदी हटाओ, देश बचाओ, अब होगा न्याय और हर हाथ शक्ति, हर हाथ तरक्की, जनता कहेगी दिल से, कांग्रेस फिर से।

जदयू के कई नारे भी खासे लोकप्रिय रहे हैं-बिहार में का बा, नीतीशे कुमार बा, क्यूं करें विचार-ठीके तो है नीतीश कुमार। सच्चा है, अच्छा है! चलो, नीतीश के साथ चलें। नीक बिहार-ठीक बिहार, सुशासन का प्रतीक बिहार। इस बार यह देखना-सुनना दिलचस्प रहेगा कि जनता से जुड़े असल मुद्दे पर सियासी दल कौन-कौन नारे बांचते हैं...।

आमजन के लिए नारे नए पर इनकी तासीर दशकों पुरानी

पुराने नारे, अटल, आडवाणी, कमल निशान, मांग रहा है हिंदुस्तान। या फिर अटल बिहारी बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है। 1952 के आम चुनाव का नारा था- खरो रुपयो चांदी को, राज महात्मा गांधी को। तब वामपंथियों ने नारा दिया था-देश की जनता भूखी है, यह आजादी झूठी है।

1960 के दौर में विपक्ष का नारा था-जली झोपड़ी भागे बैल, यह देखो दीपक का खेल। तब जनसंघ का चुनाव निशान दीपक’ था और कांग्रेस का चुनाव निशान दो बैलों की जोड़ी। कांग्रेस का पलटवार था, इस दीपक में तेल नहीं, सरकार बनाना खेल नहीं। आपातकाल में इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा।

1980 में इंदिरा जी की बात पर, मुहर लगेगी हाथ पर। 1984 में जब तक सूरज चांद रहेगा, इंदिरा तेरा नाम रहेगा और उठे करोड़ों हाथ हैं, राजीव जी के साथ हैं। 1991 में राजीव तेरा ये बलिदान, याद करेगा हिंदुस्तान।

1996 में सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी जैसे नारे आज भी पुरानी यादों को ताजा कर देते हैं।। 2004 में भाजपा का नारा था, शाइनिंग इंडिया। इस पर कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ ने केंद्र में सरकार बदल दी थी। 2014 में कांग्रेस का नारा कट्टर सोच नहीं, युवा जोश जनता पर जादू नहीं दिखा सका।

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