तब 19 सीटों पर मिली थी मात, अब 26 पर जीत की चुनौती; इस वजह से बिहार में खास होने जा रहा 2024 का चुनाव
Bihar Politics 2019 के चुनाव में एनडीए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे करीब 23.6 प्रतिशत वोट मिले। जबकि राजद ने 2019 में सहयोगियों से 20 सीटें बंटवारे में ली थी। उनमें से आरा उसने भाकपा माले को दी थी जबकि शेष 19 सीटों पर खुद लड़ा परंतु पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई।
सुनील राज, पटना। लोकसभा चुनाव 2024 कई मायनों में महत्वपूर्ण होने जा रहा है। एक ओर जहां एनडीए 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम को दोहराने की चुनौती से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के सामने भी बीते चुनाव में मिली बड़ी पराजय से बाहर आने की अकुलाहट है।
राजद को इस बार करनी होगी कड़ी मशक्कत
2019 में मोदी लहर के बीच कांग्रेस ने कम से कम एक सीट जीतकर अपनी प्रतिष्ठा किसी तरह बचाए रखी, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शून्य पर बोल्ड हुआ था। वह पहला मौका था जब राजद किसी चुनाव में बुरी तरह से पराजित हुआ था।
लिहाजा राजद को हार के उस अपमान से बाहर आने के लिए इस बार कड़ी मशक्कत करनी होगी। लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले राजद ने सहयोगियों को विश्वास में लेकर 26 सीटें प्राप्त तो जरूर कर ली हैं, लेकिन आगे की राह उतनी ही मुश्किल भरी है। इसकी वजह है पार्टी का चुनाव में स्ट्राइक रेट।
2019 में एक भी सीट नहीं जीत पाई राजद
राजद ने 2019 में सहयोगियों से 20 सीटें बंटवारे में ली थी। उनमें से आरा उसने भाकपा माले को दी थी, जबकि शेष 19 सीटों पर खुद लड़ा।
राजद ने गोपालगंज, सिवान, महाराजगंज, सारण, पाटलिपुत्र, बक्सर, जहानाबाद, नवादा, जमुई के साथ ही मधेपुरा, अररिया, झंझारपुर, दरभंगा, शिवहर, सीतामढ़ी, हाजीपुर, वैशाली के अलावा बेगूसराय और बांका में प्रत्याशी उतारे थे। परंतु पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई।
उक्त लोकसभा चुनाव में राजद का वोट प्रतिशत 15.68 प्रतिशत था। राजद की सहयोगी कांग्रेस ने नौ सीटों पर उम्मीदवार उतारे। उसे एक सीट पर सफलता मिली। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 7.7 प्रतिशत रहा। रालोसपा ने पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, वोट प्रतिशत 3.66 प्रतिशत था।
अन्य सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने तीन सीटों पर उम्मीदवार दिए और पार्टी को 2.39 प्रतिशत वोट मिले। विकासशील इंसान पार्टी भी उक्त चुनाव में राजद के साथ थी। उसे तीन सीटें मिली, परंतु पार्टी सभी सीटों पर पराजित रही, हालांकि पार्टी को करीब 1.66 प्रतिशत वोट जरूर मिले।
दूसरी ओर एनडीए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे करीब 23.6 प्रतिशत वोट मिले। सहयोगी जदयू को 21.86 प्रतिशत और लोक जनशक्ति पार्टी को 7.86 प्रतिशत वोट मिले।
राजद ने इस बार किया जीत का दावा
वोट प्रतिशत में एनडीए के मुकाबले महागठबंधन का प्रदर्शन काफी खराब रहा। हालांकि राजद का दावा है कि महागठबंधन की 17 महीने चली सरकार में जो काम हुए हैं, उनका असर इस चुनाव में जरूर पड़ेगा।
पार्टी का वोट प्रतिशत भी बढ़ेगा और अधिसंख्य सीटों पर जीत भी होगी। दावों के बीच हकीकत यह है कि राजद 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। उसे रणनीति बनाकर मैदान में उतरना होगा, क्योंकि उसके सामने भाजपा-जदयू के 22 उम्मीदवार होंगे।
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