Bihar Politics: PM मोदी हों या नीतीश कुमार, क्यों दिला रहे 'जंगलराज' की याद? जान लें भाजपा का मास्टरप्लान
पहले चरण का चुनाव-प्रचार परवान चढ़ने के साथ ही एनडीए के नेता सुनियोजित तरीके से राजद प्रत्याशियों के खिलाफ जंगलराज का डर दिखाने की पटकथा लिखने में जुट गए हैं। इसके पीछे एक दूरदर्शी राजनीति है। इसी रणनीति के तहत पीएम मोदी नीतीश कुमार लोजपा प्रमुख चिराग और एनडीए के तमाम नेता एक सुर में लालू-राबड़ी देवी के 15 वर्ष के राज की गड़बड़ियों को गिनाने में जुट गए हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, पटना। पहले चरण का चुनाव प्रचार परवान चढ़ने के साथ ही राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) नेता सुनियोजित तरीके से राजद प्रत्याशियों के विरुद्ध जंगलराज का डर दिखाने की पटकथा लिखने में जुट गए हैं। इसके पीछे कारण दूरदर्शी राजनीति है।
इसी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान, रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के साथ हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन के साथ राजग के अन्य छोटे-बड़े नेता एक सुर में राजद प्रमुख लालू प्रसाद व राबड़ी देवी के 15 वर्ष के शासन-काल की गड़बड़ियों को गिनाने में जुट गए हैं।
पुरानी यादों को याद दिलाने के पीछे एनडीए का प्लान
अहम बात यह है कि राजग नेता जनसभा से लेकर जनसंपर्क अभियान, चुनाव प्रचार, रोड-शो एवं प्रेसवार्ता में मौके को ताड़ सर्वसमाज के बीच ढाई दशक पुरानी यादों को ताजा करने और भावना को भुनाने का अभियान भी शुरू कर दिया है।
दिलचस्प यह है कि भाजपा के प्रवक्ताओं ने राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश, जिला एवं मंडल स्तर पर प्रेसवार्ता कर एक-एक घटनाक्रम से नई पीढ़ी को अवगत करा रहे हैं।
आइएनडीआइए (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के प्रत्याशियों को मत देने से पहले सावधान कर रहे हैं। यही नहीं, बुजुर्गों का भी ध्यान आकृष्ट कर नई पीढ़ी को 2005 से पहले दिन दहाड़े घटने वाली घटनाओं से अवगत कराने की अपील कर रहे हैं।
भाजपा के नेता और प्रवक्ताओं भागलपुर से लेकर प्रदेश अन्य जिलों में हुए सांप्रदायिक तनाव को गिनाने साथ ही दंगा के आरोपियों राहत दिलाने को लेकर कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं।
90 के दशक में प्रतिदिन होने वाले जगह-जगह होने वाले लूट, अपहरण, दुष्कर्म, फिरौती के साथ ही परिवारवाद से लेकर सरकारी नौकरियों में होने वाली हेराफेरी को शृंखलाबद्ध तरीके से गिनाने की मुहिम भी शुरू कर दी है।
नुक्कड़ सभा से लेकर जनसंपर्क यात्रा तक...
नुक्कड़ सभा से लेकर जनसंपर्क यात्रा के दौरान बाकायदा एक-एक प्रसंग पर विस्तृत चर्चा कर 18 से लेकर 35 वर्ष उम्र वाले मतदाताओं के समक्ष एक सुर में राजद प्रमुख लालू व राबड़ी राज को 15 वर्ष का जंगलराज बताने एवं बखिया उधेड़ने नहीं चूक रहे हैं। साथ ही बुजुर्गों को साधने के लिए हर जतन राजग नेता कर रहे हैं।
विकास में फिसड्डी था बिहार
देश में बिहार लालू-राबड़ी के शासनकाल में विकास के मामले में बिहार की स्थिति जर्जर हो गई थी। विकास के पैमाने पर बिहार का नाम फिसड्डी राज्यों की श्रेणी में गिना जाता था। नए उद्योग-धंधे लगने की बात तो दूर, पहले से चल रहे उद्योग भी बंद हो गए। रोजगार के लिए लोगों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ा।
शिक्षा की हालत ऐसी कर दी गई कि आज भी बिहार इससे पूरी तरह से उबर नहीं पा रहा है। लालू कहा करते थे, डाक्टर, इंजीनियर तो अमीर लोग के बेटा-बेटी बनता है, गरीब तो चरवाहा बनता है। इसलिए लालू ने चरवाहा विद्यालय खोल दिया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू ने स्वयं को ‘गुदड़ी का लाल’ के रूप में पेश किया और इसी शीर्षक से स्कूलों की पाठ्य पुस्तक में एक अध्याय भी जुड़वाया गया था, जिसमें उनके जीवन संघर्ष का बखान किया गया और उन्हें गरीबों के मसीहा के तौर पर पेश किया गया। अब राजग के नेता चारा से लारा घोटाले तक को शृंंखलाबद्ध गिना रहे हैं।
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