नीतीश सरकार की डोमिसाइल नीति पर PK का हमला, जनता नहीं आएगी अब भ्रम में
डोमिसाइल लागू होने पर कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है जनता की जीत है। 20 साल में इन्होंने कुछ नहीं किया डोमिसाइल के लिए लड़के संघर्ष कर रहे थे। अब नीतीश सरकार ने देख लिया है कि जनता ने उन्हें हटाने का मन बना लिया है इसलिए पेंशन बढ़ा रहे हैं डोमिसाइल लागू कर रहे हैं।

डिजिटल न्यूज, पटना। प्रशांत किशोर आज कैमूर के चैनपुर में बिहार बदलाव जनसभा करने पहुंचे। किसान इंटर कॉलेज मैदान में जनसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने को लेकर हमला बोला। साथ ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के पास दो-दो वोटर आईडी कार्ड मिलने पर भी तंज किया।
प्रशांत किशोर ने डोमिसाइल लागू होने पर कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है, जनता की जीत है। 20 साल में इन्होंने कुछ नहीं किया, डोमिसाइल के लिए लड़के संघर्ष कर रहे थे। अब नीतीश सरकार ने देख लिया है कि जनता ने उन्हें हटाने का मन बना लिया है, इसलिए पेंशन बढ़ा रहे हैं, डोमिसाइल लागू कर रहे हैं। अब बिहार में डोमिसाइल लागू करने से या बुजुर्गों का पेंशन 500 रुपया बढ़ाने से जनता भ्रम में आने वाली नहीं है। जनता ने तय कर लिया है और इस बार लालू-नीतीश का हटना निश्चित है।
साथ ही कहा कि तेजस्वी यादव कह रहे थे कि उनके पास एक भी वोटर आईडी कार्ड नहीं है। उनका नाम कट गया है। अब चुनाव आयोग बता रहा है कि उनके पास दो-दो वोटर आईडी कार्ड है। लेकिन यह मामला तेजस्वी यादव और चुनाव आयोग के बीच का है। वो लोग अपना समझेंगे। जनता को इससे कोई लेना देना नहीं है।
कैमूर में प्रशांत किशोर ने किया लालू, नीतीश और मोदी पर हमला, बोले- इस बार नेताओं का चेहरा देखकर वोट मत दीजिए, इस बार अपने बच्चों का चेहरा देखकर वोट करिए। इस बार अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए वोट करें।
उन्होंने कहा कि इस साल बिहार की बदहाली की आखिरी दिवाली और छठ होगी। छठ के बाद चैनपुर के या मोहनिया के या कैमूर के युवाओं को 10-12 हजार रुपये की मजदूरी करने के लिए अपना घर-परिवार छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा। बिहार भर के ऐसे 50 लाख युवाओं को वापस बुलाकर उन्हें यहीं 10-12 हजार रुपये का रोजगार दे दिया जाएगा।
साथ ही जनता से बड़ा वादा करते हुए कहा कि दिसंबर 2025 से 60 साल से अधिक उम्र के हर पुरुष और महिला को 2000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने बड़ा ऐलान किया कि जब तक सरकारी विद्यालयों में सुधार नहीं हो जाएगा, तब तक आप अपने 15 साल से कम उम्र के बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाएं और उनकी फीस सरकार भरेगी ताकि गरीब का बच्चा भी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ सके।
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