Sukriti Gupta: पटना की बेटी ने बॉलीवुड में रोशन किया नाम, मिस बिहार से लेकर निर्माता बनने तक का ऐसा रहा सफर
पटना के डाकबंगला चौराहे से बॉलीवुड में एक्ट्रेस और फिल्म निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली सुकृति बड़े होकर अपने पिता की तरह ही प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती थीं। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की लेकिन उनका भविष्य कहीं और था। पिता के कहने पर उन्होंने मुंबई जाकर उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाया।
सोनाली दुबे, पटना। पटना के डाकबंगला चौराहे से निकलकर सुकृति ने बॉलीवुड तक का सफर तय किया है। वे आज एक सफल अभिनेत्री और फिल्म निर्माता हैं। डीपीएस, पटना से पढ़ाई करने वाली सुकृति की यात्रा संघर्ष और सपनों की कहानी रही है।
पिता राजेंद्र प्रसाद गुप्ता खुद प्रशासन में थे और उनकी इच्छा थी कि बेटी पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करे। यही वजह रही कि सुकृति ने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
पढ़ाई में अव्वल रहने के साथ-साथ उन्होंने खेलों में भी अपनी पहचान बनाई। बास्केटबॉल में गहरी रुचि थी और उन्होंने अपने स्कूल का राज्य स्तर पर प्रतिनिधित्व भी किया था।
पिता ने कहा- अपने सपने को जीने की कोशिश करो
तकनीकी क्षेत्र में रुचि रखने वाली सुकृति ने सोचा था कि बीपीएससी की तैयारी करेंगी, लेकिन अभिनय के प्रति बचपन का जुनून उन्हें कहीं और खींच रहा था।
वे बताती हैं, परीक्षा के बाद पापा ने मुझसे कहा कि एक बार मुंबई जाकर अपने अभिनय के सपने को जीने की कोशिश करो।
पापा की इस सलाह ने उनकी जिंदगी बदल दी। मुंबई पहुंचकर थिएटर में काम करना शुरू किया। शुरुआती दिनों में उन्होंने कई विज्ञापन किए, जिनमें कुछ चर्चित रहे। लेकिन उनकी फिल्मी यात्रा बिहार से ही शुरू हुई।
2011 में जीता मिस बिहार का ताज
- 2011 में मिस बिहार का ताज जीतने के बाद उन्हें आह्वान नाम की फिल्म में काम करने का मौका मिला, जिसकी शूटिंग अररिया में हुई थी।
- इसके बाद उन्होंने फिल्म काशी इन सर्च ऑफ गंगा में एक गेस्ट रोल भी किया।
- सुकृति की जिंदगी में असली मोड़ 2022 में आया, जब उनकी फिल्म 'जनहित में जारी' रिलीज हुई। इस फिल्म के पोस्टर पर स्वयं को देखकर उन्हें बेहद गर्व महसूस हुआ।
- हाल ही में उनकी शार्ट फिल्म 'अमर आज मरेगा' ने दर्शकों को काफी प्रभावित किया है।
ऑन स्क्रीन और ऑफ स्क्रीन का अनुभव
सुकृति ने न सिर्फ स्क्रीन पर शानदार अभिनय किया है, बल्कि ऑफ-कैमरा भी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है।
अपने प्रोडक्शन हाउस भारत चलचित्र के तहत उन्होंने जैमाला, डे 180 और मेरे जीवन साथी जैसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं। वह कहती हैं।
सुकृति ने बताया कि ऑन-स्क्रीन काम करते हुए मैंने अभिनय की बारीकियां सीखीं, लेकिन जब प्रोड्यूसर बनी, तब समझ आया कि दो घंटे की फिल्म बनाने के पीछे कितनी मेहनत छिपी होती है।
कहानी लिखना, अभिनेताओं का मार्गदर्शन करना, हर विभाग के साथ समन्वय बनाना, यह सब आसान नहीं है।
बिहार से जुड़ी यादें
पटना के बारे में वे कहती हैं कि मौर्यालोक में दोस्तों के साथ घूमना, चाचा के साथ स्कूटी पर जाना। ये पल आज भी मेरे मन में ताजे हैं। हर शनिवार और रविवार को चाचा जी हमें स्कूटी पर लेकर गोलघर लेकर जाते थे।
गोलघर के पास का दृश्य, वहां से पूरे पटना शहर का जो नजारा दिखता था, वह बहुत खास हैं। चाचा हमें वहां के इतिहास के बारे में भी बताते थे।
भविष्य की योजनाओं के बारे में उन्होंने कहा, अगर मौका मिला तो मैं मधुबनी पेंटिंग और बिहार की संस्कृति पर फिल्म बनाऊंगी, ताकि हमारी विरासत दुनिया तक पहुंचे।
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