पटना में 11 महीने में सड़क दुर्घटनाओं में 736 लोगों की मौत, सबसे ज्यादा फरवरी में हुए हादसे
पटना में पिछले 11 महीनों में सड़क दुर्घटनाओं में 736 लोगों की जान गई है। फरवरी महीने में सबसे अधिक हादसे हुए, जो चिंता का विषय है। यह आंकड़े बिहार में ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर
विद्या सागर, पटना। राजधानी पटना में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा लगातार चिंता बढ़ा रहा है। वर्ष 2025 के जनवरी से नवंबर माह के बीच सड़क दुर्घटनाओं में कुल 736 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 426 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस अवधि में कुल 1102 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जो यह दर्शाता है कि यातायात व्यवस्था और सड़क सुरक्षा की स्थिति बेहद गंभीर है।
मासिक आंकड़ों पर नजर डालें तो फरवरी में सबसे अधिक दुर्घटना हुई। इस महीने 129 एफआइआर दर्ज की गई। 92 लोगों की जान गई। इसके अलावा मई और जून में भी दुर्घटनाओं की संख्या काफी अधिक रही। जनवरी में 61, मार्च में 76, अप्रैल में 54 और मई में 89 मौतें दर्ज की गईं।
जुलाई और अगस्त में भी हालात चिंताजनक रहे, जहां दोनों महीनों में 71-71 लोगों की मौत हुई। अक्टूबर में जहां मृतकों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही, वहीं नवंबर में यह आंकड़ा फिर बढ़कर 46 मौतों तक पहुंच गया।
गंभीर रूप से घायल होने वालों की संख्या भी कम चिंताजनक नहीं है। फरवरी में 60, जून में 50 और जुलाई में 48 लोग सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल हुए। कुल मिलाकर 11 महीनों में 426 गंभीर घायल यह संकेत देते हैं कि दुर्घटनाएं केवल जानलेवा ही नहीं, बल्कि लोगों को आजीवन अपंगता की ओर भी धकेल रही हैं।
इन आंकड़ों ने सड़क सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तेज रफ्तार, यातायात नियमों की अनदेखी, नशे में वाहन चलाना, ओवरलोडिंग, गलत दिशा में ड्राइविंग और खराब सड़क संकेतक दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण हैं।
जिला परिवहन पदाधिकारी उपेंद्र पाल कहा कि लोग यातायात नियमों का पालन करें। सड़क सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाएं। आने वाले दिनों में विशेष जांच अभियान और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
सड़क सुरक्षा के लिए सुझाए गए उपाय
- वाहन चलाते समय निर्धारित गति सीमा का पालन करें
- दोपहिया वाहन चालक हेलमेट अनिवार्य रूप से पहनें
- चारपहिया वाहन में सीट बेल्ट का प्रयोग करें
- नशे की हालत में वाहन न चलाएं
- मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए ड्राइविंग से बचें
- ओवरलोडिंग और स्टंटबाजी पर सख्त रोक लगाएं
- सड़क संकेतकों और ट्रैफिक लाइट का पालन करें
- नियमित रूप से वाहन की तकनीकी जांच कराएं

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