साइबर क्राइम पर पटना पुलिस शिकंजा: रडार पर 100 से अधिक बैंक खाते, 12 के खिलाफ केस दर्ज
पटना पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसमें सरगना सहित 13 लोग गिरफ्तार हुए हैं। गिरोह के पास से 100 से अधिक बैंक खाते मि ...और पढ़ें
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साइबर क्राइम पर पुलिस का शिकंजा। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पटना। गर्दनीबाग थाने की पुलिस ने जिस साइबर ठग गिरोह के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। गिरोह के पास से बरामद एटीएम कार्ड और पासबुक की जांच में सौ से अधिक बैंक खाते मिले हैं। इनमें दर्जन भर बैंक खातों के खिलाफ पहले से अलग- अलग राज्यों में साइबर ठगी का केस है।
इन खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी की रकम मंगाने और निकासी में हुआ है। अधिकांश बैंक खाते दूसरे राज्य के हैं, जिसमे कई करंट हैं। पटना पुलिस इन सभी बैंक खातों की जानकारी जुटा रही है। जरूरत पड़ी तो पकड़े गए साइबर ठगों को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की जा सकती है।
अकाउंट हैंडलर्स का भी काम करता था गैंग
जेल भेजा गया गिरोह एटीएम से छेड़छाड़ कर पैसा निकासी के साथ थी गेमिंग एप और अन्य तरीके से ठगी करने वाले गिरोह में चेन का काम करता था। यह गिरोह साइबर ठगों को अकाउंट भी उपलब्ध कराता था। साथी अकाउंट हैण्डलर का काम भी करते थे।
बीते शुक्रवार को गर्दनीबाग थाने की पुलिस ने पटना, गयाजी से लेकर मुजफ्फरपुर में हुई छापेमारी के बाद सरगना सहित 13 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से 54 एटीएम कार्ड, 11 पासबुक, 23 मोबाइल, दो चार पहिया वाहन, 28 चेकबुक और दो पासपोर्ट भी मिले थे।
गिरफ्तार आरोपितों में कुछ निजी बैंक के लोन एजेंट और एक कंप्यूटर इंजीनियर शामिल हैं। यह गिरोह पिछले एक साल से सक्रिय था।
दो तरीकों से ठगी करता था गिरोह
यह गिरोह दो तरीके से ठगी करता था। एक एटीएम में कार्ड फंसाकर और दूसरा यह म्यूल अकाउंट्स के जरिए देश-विदेश में पैसों का लेनदेन करता था। अब तक तकरीबन 50 से 55 करोड़ रुपये से अधिक का संदिग्ध ट्रांजेक्शन सामने आ चुका है। क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से भी कुछ रकम मंगाई गई थी और ट्रांसफर किया जा रहा था।
साइबर अपराधियों की कार्यप्रणाली सुनियोजित और तकनीकी रूप से उन्नत थी। चेन बनाकर काम करते थे। गिरोह का मास्टरमाइंड सौरभ द्विवेदी है। सभी से पूछताछ की जा रही है। पुलिस अब इस गिरोह के नेटवर्क के बाकी सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है।
यह गिरोह ने गेमिंग एप्लिकेशन के माध्यम से भी ठगी को अंजाम दिया। इन एप में रुपये और वर्चुअल करेंसी का लेनदेन कर लोगों से पैसे ऐंठे जाते थे। कई म्यूल अकाउंट खुलवाए, जिनके जरिए ठगी की राशि को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जाता था ताकि पुलिस उनतक ना पहुंच सके।

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