पटना में मिनी गन फैक्ट्री का पर्दाफाश; भारी मात्रा में हथियार बरामद, दो हथियार तस्कर गिरफ्तार
पटना पुलिस ने शाहपुर थाना क्षेत्र में एक मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने छापेमारी कर चार पिस्टल कारतूस और हथियार बनाने के उपकरण बरामद किए हैं। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिनकी पहचान अमन कुमार और अवधेश कुमार वर्मा के रूप में हुई है।

जागरण संवाददाता, पटना। अपराध पर नकेल कसने के लिए पटना पुलिस अभियान चलाकर हथियार तस्करों को दबोच रही है। पुलिस ने इस बार शाहपुर थाना क्षेत्र के सरारी स्थित अग्रणी होम अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 607 में दबिश दी और वहां मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया।
सिटी एसपी पश्चिमी भानु प्रताप सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने छापेमारी कर फ्लैट से चार पिस्टल, चार मैग्जीन, दो अर्द्ध निर्मित मैग्जीन, 58 कारतूस, 30 हजार 500 नकद, चार मोबाइल, अवैध हथियार बनाने में प्रयोग होने वाले छह हथौड़ी, एक ड्रिल मशीन, 12 रेती, लेथ मशीन, कटर सहित अन्य कच्चा माल बरामद किया।
वहां से दो आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। उनकी पहचान दानापुर निवासी अमन कुमार और वैशाली के देसरी स्थित चंदपुरा निवासी अवधेश कुमार वर्मा के रूप में हुई।
पुलिस को सूचना मिली कि सरारी स्थित एक फ्लैट से हथियार की सप्लाई हो रही है। सत्यापन के बाद गुरुवार की देर शाम पुलिस फ्लैट नंबर 607 के बाहर पहुंची। घेराबंदी के बाद फ्लैट खुलवाया गया तो अमन ने दरवाजा खोला और अवधेश अंदर बैठा था।
फ्लैट में हथियार और हथियार बनाने के औजार मिले। छानबीन में पता चला कि आरोपित दानापुर, फुलवारीशरीफ और मसौढ़ी इलाकों में हथियारों की सप्लाई करते थे।
अवैध हथियार खरीदने वाले इसका इस्तेमाल शराब तस्करी, भूमि विवाद निपटाने और संगीन वारदात में करते थे। गिरफ्तार दोनों आरोपितों से पूछताछ कर उनका नेटवर्क खंगालने के साथ ही उन लोगों की तलाश की जा रही है, जिन्होंने उनसे हथियार खरीदी थी।
दो वर्ष से चल रही थी फैक्ट्री, नब्बे से ज्यादा बेच चुके हथियार
यह गिरोह बीते दो वर्ष से मिनी गन फैक्ट्री संचालित करने के साथ ही अवैध हथियारों की खरीद-बिक्री भी कर रहा था। अवधेश और उसके साथी नब्बे से अधिक लोगों को अवैध कट्टा और पिस्टल बेच चुके हैं।
अवधेश आईटीआई की पढ़ाई करने के बाद अवैध हथियार बनाकर खरीद-बिक्री कर रहा था। न सिर्फ नए हथियार तैयार करता था, बल्कि पुराने और खराब पिस्टल की मरम्मत भी करता था। 35 से 40 हजार में पिस्टल और आठ से दस हजार में एक कट्टा बेचता था। निर्माण में प्रयुक्त लोहे की चादर और अन्य सामग्री आरा से लाई जाती थी।
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