Bhagalpur News: 10 साल के बच्चे ने दिखाई बहादुरी, अब बिहार सरकार इस काम के लिए करेगी सम्मानित
भागलपुर के एक छोटे से गांव तुलसीपुर में 10 साल के अनीश कुमार ने बहादुरी का परिचय देते हुए दो बच्चियों को डूबने से बचाया। कक्षा 5 के छात्र अनीश ने राधिका और नंदिनी को पानी से भरे गड्ढे में गिरने के बाद अपनी जान की परवाह किए बिना उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। उसकी बहादुरी के लिए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने पटना में सम्मानित करने का निर्णय लिया।

अभिषेक प्रकाश, भागलपुर। कहते हैं कि हिम्मत उम्र की मोहताज नहीं होती। इसका जीता जागता उदाहरण 2 अगस्त को जिले के खरीक स्थित एक छोटे से गांव तुलसीपुर में देखने को मिला, जब 10 साल के अनीश कुमार ने अपनी जान की परवाह किए बिना दो मासूम बच्चियों को पानी में डूबने से बचा लिया।
प्राथमिक विद्यालय मंडलटोला में कक्षा 5 का छात्र अनीश उस दिन स्कूल से घर लौट रहा था। आसमान में हल्की धूप खिली हुई थी और सड़क किनारे बारिश का पानी जमा था। इसी बीच स्कूल की दो छात्राएं - कक्षा एक में पढ़ने वाली 5 वर्षीय राधिका और नंदिनी - सड़क किनारे पानी से भरे एक गहरे गड्ढे के पास से गुजर रही थीं।
अचानक राधिका का पैर फिसला और वह गहरे गड्ढे में गिर गई। उसे बचाने दौड़ी नंदिनी भी फिसलकर पानी में गिर गई। दोनों बच्चियों की चीखें सुनकर अनीश के कदम नहीं रुके। पल भर में वह पानी में कूद गया। अपने नन्हे हाथों और अदम्य साहस के बल पर उसने पहले एक बच्ची को बाहर निकाला, फिर दूसरी को सुरक्षित किनारे पर पहुँचाया। आसपास मौजूद लोग उसकी फुर्ती और साहस देखकर दंग रह गए।
अनीश का यह कार्य न केवल जीवन बचाने की एक मिसाल है, बल्कि निस्वार्थ सेवा और मानवता का एक उज्ज्वल चेहरा भी है। उसकी बहादुरी की बदौलत दो परिवारों को अपूरणीय क्षति से बचाया जा सका।
इस अनोखे साहस के लिए, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 13 अगस्त को पटना में आयोजित एक राज्यस्तरीय समारोह में अनीश को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या सुमोना रिंकू घोष को भी सम्मानित किया जाएगा।
अनीश की बहादुरी के बारे में प्रधानाचार्या सुमोना रिंकू घोष ने कहा कि अनीश पढ़ाई में भी बहुत अच्छा है।
साथ ही, वह विद्यालय में होने वाली गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद नन्हा अनीश गाँव-गाँव में प्रेरणा का प्रतीक बन गया है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि जो संकट के समय दूसरों के लिए खड़ा होता है, वही सच्चा नायक कहलाता है।
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