By Sunil RajEdited By: Yogesh Sahu
Updated: Fri, 20 Jan 2023 11:02 PM (IST)
बिहार में पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अनुसूचित जाति के छात्रों को केंद्र सरकार की पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम का लाभ नहीं दिए जाने के मामले पर हुई सुनवाई में केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही से जवाब तलब किया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अनुसूचित जाति के छात्रों को केंद्र सरकार की पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम का लाभ नहीं दिए जाने के मामले पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने राजीव कुमार एवं अन्य की लोकहित याचिका पर आनलाइन सुनवाई करते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के सचिव सहित राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और अजा-जजा कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को छह सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है।
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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि जब वह राज्य सरकार के समक्ष पिछले साल जून में एक आवेदन के माध्यम से छात्रों को फ्रीशिप कार्ड मुहैया कराने की गुहार की थी, लेकिन राज्य सरकार यह कहते उसके आवेदन को नामंजूर कर दिया कि 2016 से राज्य सरकार ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना लागू की है जिसके तहत आसानी से शिक्ष ऋण मुहैया होता है।
छात्र नौकरी लगने पर वापस ऋण राशि की भरपाई कर देता है। याचिकाकर्ता के वकील विकास पंकज ने कहा कि राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से छात्रवृत्ति को शिक्षा ऋण से बराबर मिलान कर केंद्र सरकार के इस कल्याणकारी योजना का लाभ बिहार के अनुसूचित जाति के छात्रों को देने से रोका है।
क्या है पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम?
इस योजना के तहत अनुसूचित जाति के छात्रों को मैट्रिक के बाद कालेज और यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने हेतु एक फ्रीशिप कार्ड दिया जाता है और विद्यार्थी बिना एडमिशन फीस, ट्यूशन फीस हास्टल चार्ज के ही पांच वर्षों तक पढ़ाई कर सकते हैं। कार्डधारी के बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से स्कालरशिप राशि डाल दी जाती है, जिसे संबंधित कालेज अथवा यूनिवर्सिटी के अकाउंट से भी जोड़ा जाता है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी।
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