Bihar: स्थानीय निकायों के तहत नियुक्त शिक्षकों का मामला, पटना HC ने नीतीश सरकार से मांगा जवाब
पटना हाई कोर्ट ने स्थानीय निकायों के तहत नियुक्त शिक्षकों के मामले में राज्य सरकार से तीन सप्ताह में हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि शिक्षकों की नियुक्ति जिला स्तर पर उनके योगदान के अनुपात में हो। यह आदेश न्यायाधीश नानी तागिया की एकलपीठ ने कुमार गौरव और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने स्थानीय निकायों के तहत नियुक्त शिक्षकों से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार (Bihar Government) को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
साथ ही, कोर्ट ने सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को भी कहा है कि जिला स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति उनके योगदान के अनुपात में की जाए। न्यायाधीश नानी तागिया की एकलपीठ ने कुमार गौरव और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया।
2012 की नियमावाली के तहत हुई थी नियुक्ति
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता आशीष गिरी और अधिवक्ता सुमित कुमार झा ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता शिक्षक हैं जिन्हें बिहार पंचायती प्रारंभिक शिक्षक (नियुक्ति एवं सेवा शर्तें) नियमावली, 2012 के अंतर्गत नियुक्त किया गया था।
वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने बिहार स्कूल एक्सक्लूसिव शिक्षक नियमावली, 2023 लागू की, जिसका उद्देश्य स्थानीय निकायों के शिक्षकों को राज्य स्तरीय सेवा शर्तों के अनुरूप लाना था। नए नियमों के तहत इन शिक्षकों को “एक्सक्लूसिव शिक्षक” का दर्जा देने से पहले एक दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक किया गया।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना द्वारा 25 जनवरी 2024 को विज्ञापन जारी कर शिक्षकों को इस दक्षता परीक्षा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। सभी याचिकाकर्ताओं ने नियत समय पर आवेदन जमा कर अपनी पसंद के जिलों का विकल्प भी प्रस्तुत किया।
फरवरी 2024 में आयोजित परीक्षा में सभी याचिकाकर्ता सफल घोषित हुए और उसके बाद दस्तावेज सत्यापन व परामर्श (काउंसलिंग) की प्रक्रिया पूर्ण की गई। 20 नवंबर 2024 को अधिकांश याचिकाकर्ताओं को उनके वरीयता व योग्यता के आधार पर अस्थायी नियुक्ति पत्र जारी किए गए, जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि नियुक्ति बिहार स्कूल एक्सक्लूसिव शिक्षक नियमावली, 2023 के तहत की गई है।
रद हो गए नियुक्ति पत्र
हालांकि, इसके पश्चात राज्य सरकार द्वारा उक्त नियमावली में संशोधन किया गया और संशोधित नियमों के तहत पूर्व में जारी नियुक्ति पत्र रद कर दिए गए। याचिकाकर्ताओं को पुनः उनके पूर्व कार्यस्थलों पर योगदान करने का निर्देश दिया गया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि नियुक्ति प्रक्रिया नियमों के उस प्रारूप के अंतर्गत पूरी की गई थी, जो नियुक्ति के समय प्रभावी था। ऐसे में संशोधित नियमों को पूर्वव्यापी प्रभाव देना उनके वैधानिक और अर्जित अधिकारों का उल्लंघन होगा।
कोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार से स्पष्ट स्थिति प्रस्तुत करने को कहा है और निर्देश दिया है कि नियुक्तियों में पारदर्शिता बनाए रखते हुए जिला वार योगदान के आधार पर सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया जाए। इस मामले पर तीन सप्ताह बाद सुनवाई होगी।
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