Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राष्ट्रगान अपमान मामला: नीतीश कुमार की याचिका पर पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला रखा सुरक्षित

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Tue, 13 May 2025 01:50 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ राष्ट्रगान के कथित अपमान के मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला सेपक टेकरा वर्ल्ड कप के उद्घाटन समारोह से जुड़ा है जहां राष्ट्रगान के दौरान मुख्यमंत्री के हाथ हिलाने का आरोप है। पटना हाई कोर्ट अब इस मामले पर अपना निर्णय सुनाएगी।

    Hero Image
    राष्ट्रगान अपमान मामला: नीतीश कुमार की याचिका पर पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला रखा सुरक्षित

    विधि संवाददाता, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के विरुद्ध राष्ट्रगान के तथाकथित अपमान के आरोपों से जुड़े मामले में पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह मामला सेपक टेकरा वर्ल्ड कप के उद्घाटन समारोह से जुड़ा है, जहां राष्ट्रगान के दौरान मुख्यमंत्री के हाथ हिलाने का एक वीडियो वायरल हुआ था।

    विकास पासवान ने दाखिल किया था परिवाद

    इस वीडियो को आधार बनाकर विकास पासवान नामक एक स्थानीय व्यक्ति ने 22 मार्च, 2025 को बेगूसराय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक परिवाद पत्र दायर किया था, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आरोपी बनाया गया।

    सीएम ने परिवाद को रद करने के लिए दायर की याचिका

    न्यायिक अवकाश के कारण यह मामला प्रभारी न्यायिक दंडाधिकारी मयंक कुमार की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने 25 मार्च को मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर 4 अप्रैल, 2025 तक जवाब देने का निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री की ओर से पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस परिवाद पत्र को रद करने की मांग की गई।

    महाधिवक्ता पी. के. शाही ने मुख्यमंत्री की तरफ से पक्ष रखते हुए दलील दी कि यह परिवाद बदनीयती से दाखिल किया गया है और यह आपराधिक कानून का दुरुपयोग है। उन्होंने यह भी कहा कि निचली अदालत द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए कार्यवाही की जा रही है, जो कि अवैध है।

    महाधिवक्ता शाही ने यह भी रेखांकित किया कि मुख्यमंत्री को लोकसेवक होने के बावजूद बिना परिवादी का परीक्षण किए ही आरोपी बनाया गया, जो संहिता के स्पष्ट उल्लंघन के अंतर्गत आता है।

    इससे पूर्व, हाई कोर्ट ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाते हुए परिवादी को नोटिस जारी किया था। सोमवार को न्यायाधीश चन्द्र शेखर झा की एकलपीठ ने नीतीश कुमार की याचिका पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया।

    ये भी पढ़ें- Bihar Politics: 'एक बार अपने ससुर जी से पूछ लीजिए...', लालू और मांझी परिवार में बढ़ती जुबानी जंग

    ये भी पढ़ें- Jharkhand News: झारखंड में पहली बार बना जदयू का अपना कार्यालय, CM नीतीश कुमार ने किया ऑनलाइन उद्धाटन