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    एक को कानूनी और दूसरी को फर्जी पत्नी करार देने के फैसले को हाई कोर्ट ने किया निरस्त, जानें पूरा मामला

    Updated: Wed, 13 Nov 2024 08:18 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मुंगेर परिवार न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें एक महिला को कानूनी पत्नी और दूसरी को फर्जी घोषित किया गया था। कोर्ट ने कहा कि परिवार न्यायालय ने बिना सबूत के फैसला सुनाया। अब मामला नए सिरे से विचार के लिए वापस भेज दिया गया है।

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    एक को कानूनी और दूसरी को फर्जी पत्नी करार देने के फैसले को हाई कोर्ट ने किया निरस्त

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले से मुंगेर परिवार न्यायालय (Munger Family Court) के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसके तहत परिवार न्यायालय ने एक पत्नी को कानूनी रूप से विवाहित घोषित कर दूसरी पत्नी को फर्जी महिला करार दिया था।

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    न्यायाधीश पीबी बजनथ्री एवं न्यायाधीश एसबी प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने दिल्ली निवासी गीता देवी की अपील याचिका को स्वीकृति देते हुए यह फैसला सुनाया। अपीलकर्ता गीता देवी ने मुंगेर परिवार न्यायालय के उस एकपक्षीय फैसले को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी जिसके तहत परिवार न्यायालय ने मुंगेर निवासी कुमकुम देवी को उसके पति रवि कुमार की कानूनी पत्नी घोषित किया था।

    क्या है मामला?

    कुमकुम देवी ने परिवार न्यायालय, मुंगेर के समक्ष दावा किया था कि उसका विवाह 06-02-1986 को रवि कुमार के साथ हिंदू रीति-रिवाज से हुआ था। उनके दो बच्चे हैं। बाद में पता चला कि पारिवार न्यायालय, उत्तर पश्चिम रोहिणी, दिल्ली से उसके पति के नाम से नोटिस जारी किए गए थे, जिसके तहत अपीलकर्ता गीता देवी ने खुद को रवि कुमार की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी होने का दावा किया था और विवाह से पैदा हुए दो बच्चों के लिए भरण-पोषण का भी दावा किया था।

    इस पर पति रवि कुमार एवं कुमकुम देवी ने पारिवार न्यायालय मुंगेर में मुकदमा दायर कर दोनों के बीच विवाह को वैध घोषित करने के लिए याचिका दायर की। मुंगेर के परिवार न्यायालय ने कुमकुम को रवि की कानूनी पत्नी करार देते हुए गीता देवी (आपीलकर्ता) को फर्जी महिला घोषित कर दिया। गीता देवी ने परिवार न्यायालय के फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी।

    हाई कोर्ट का फैसला:

    हाई कोर्ट ने पाया कि परिवार न्यायालय ने अपीलकर्ता को सुने बिना ही एकपक्षीय फैसला पारित कर दिया है और रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह सुझाव दे कि अपीलकर्ता गीता देवी को उपरोक्त मामले में कोई नोटिस प्राप्त हुआ था। हाई कोर्ट ने माना कि पारिवार न्यायालय का यह अवलोकन कि अपीलकर्ता एक फर्जी महिला है और बिना किसी ठोस सबूत के भरण-पोषण का मामला दायर किया गया है, कानून की नजर में विश्वसनीय नहीं लगता है।

    कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश, पारिवार न्यायालय, मुंगेर द्वारा पारित दिनांक 25.07.2016 और 30.07.2016 के निर्णय और डिक्री को रद कर दिया, जिसमें कुमकुम को रवि की कानूनी पत्नी घोषित किया गया था। कोर्ट ने मामले को नए सिरे से विचार के लिए पारिवार न्यायालय मुंगेर के समक्ष वापस भेजा दिया।

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