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    पटना हाई कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने में लापरवाही पर जताई नाराजगी, DM को 8 हफ्तों की मोहलत

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 06:29 PM (IST)

    पटना HC ने राजधानी में सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण को लेकर प्रशासन की लापरवाही पर सख़्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने पटना के जिलाधिकारी को आठ सप्ताह के भीतर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि कार्रवाई न होने पर मामला केंद्र सरकार को सौंपा जा सकता है। यह मामला 2019 से चल रहा है जिसमें पहले भी अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे।

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    पटना हाई कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने में लापरवाही पर जताई नाराजगी, डीएम को आठ सप्ताह की मोहलत

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने राजधानी के विभिन्न इलाकों में सरकारी जमीनों पर जारी अवैध अतिक्रमण को हटाने में प्रशासनिक लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया है। न्यायाधीश पी. बी. बजनथ्री की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पटना के जिलाधिकारी को अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।

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    यह आदेश डॉ. अमित कुमार सिंह द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। कोर्ट ने नाराजगी जताई कि पूर्व में अतिक्रमण हटाए जाने के बावजूद उन्हीं स्थानों पर फिर से कब्जा हो गया, जो दर्शाता है कि कार्रवाई प्रभावी ढंग से नहीं की गई।

    कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि तय समयावधि में कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला केंद्र सरकार को सौंपा जा सकता है।

    2019 से जारी है मामला

    यह मामला 2019 का है, जब हाईकोर्ट की पीठ ने पटना के मौजा खलीलपुर, शेवरीनगर, पाटलिपुत्र स्टेशन, आशियाना मोड़, राजापुर और सचिवालय सड़क सहित कई क्षेत्रों में सरकारी जमीनों से अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था।

    डॉ. अमित कुमार सिंह ने 2018 में जिलाधिकारी को इस संबंध में एक विस्तृत अभ्यावेदन दिया था, जिसमें अतिक्रमण से जुड़े गंभीर सामाजिक और सुरक्षा संबंधी पहलुओं को उजागर किया गया था।

    कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि यह पाया गया कि अतिक्रमण हटाने के बाद फिर से कब्जा हो रहा है, तो संबंधित थानाध्यक्षों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

    वरीय अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि प्रशासन की ओर से केवल कागजी कार्रवाई की गई है, जबकि भौतिक रूप से जमीनें अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराई गई हैं।

    राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता खुर्शीद आलम और अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने पक्ष प्रस्तुत किया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अतिक्रमण हटने के बाद यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में दोबारा कब्जा न हो।