पटना हाई कोर्ट ने पुलिस मुठभेड़ में युवक की मौत की जांच सीबीआई को सौंपी
सासाराम के पीर बाबा मोहल्ले में जन्मदिन पार्टी के दौरान उनके छोटे भाई ओमप्रकाश की पुलिस अधिकारियों की गोलीबारी में मौत हो गई थी। आरोप है कि डिप्टी एसपी (ट्रैफिक) आदिल बिलाल और उनके बॉडीगार्ड चंद्रमौली नागिया ने शराब पीने का आरोप लगाते हुए मौके पर मौजूद युवकों से धन की मांग की विरोध करने पर फायरिंग कर दी।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने सासाराम में हुई पुलिस फायरिंग में युवक की मौत और उससे जुड़े मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी है। न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश मृतक के भाई राणा राहुल रंजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिन्होंने निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग की थी।
क्या है मामला
याचिकाकर्ता के मुताबिक, 27 दिसंबर 2024 की रात करीब 10 बजे, सासाराम के पीर बाबा मोहल्ले में जन्मदिन पार्टी के दौरान उनके छोटे भाई ओमप्रकाश की पुलिस अधिकारियों की गोलीबारी में मौत हो गई थी। घटना में दो अन्य युवक भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। आरोप है कि डिप्टी एसपी (ट्रैफिक) आदिल बिलाल और उनके बॉडीगार्ड चंद्रमौली नागिया ने शराब पीने का आरोप लगाते हुए मौके पर मौजूद युवकों से धन की मांग की, विरोध करने पर फायरिंग कर दी। घटनास्थल से शराब की बोतलें और हथियार भी बरामद हुए।
पुलिस ने इन घटनाओं से जुड़े कुल तीन एफआईआर दर्ज किए
एक डिप्टी एसपी के बॉडीगार्ड की शिकायत पर, दूसरी थानाध्यक्ष की खुद की कथित बरामदगी पर और तीसरी मृतक के भाई की ओर से। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि शुरुआती दोनों एफआईआर पुलिस अधिकारियों ने खुद को बचाने के मकसद से दर्ज की थीं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि मामले के आरोपी स्वयं पुलिस अधिकारी हैं और शुरुआती जांच में गंभीर खामियां व पक्षपात सामने आए हैं, इसलिए इसकी निष्पक्षता संदेह के घेरे में है।
कोर्ट ने हाल ही के सुप्रीम कोर्ट फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ‘न्याय न सिर्फ होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए’। इसलिए इस मामले की गहन, निष्पक्ष और त्वरित जांच सीबीआई द्वारा कराई जानी चाहिए ताकि पीड़ित परिवार और समाज में विश्वास कायम रहे। आदेश में कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह सासाराम थाना कांड सं. 1038/2024, 1039/2024 और 1040/2024 की जांच अपने हाथ में ले और सभी सबूत व केस डायरी राज्य पुलिस से प्राप्त करे।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश का उद्देश्य महज तथ्य पता करना और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना है इसमें किसी आरोपी या पक्ष के मामले की मेरिट पर कोई राय नहीं दी गई है।
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