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    Bihar: 7 साल या उससे कम की सजा वाले आपराधिक मामलों पर पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पुलिस नहीं कर पाएगी ये काम

    Patna High Court Circular पटना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आलोक में एक सर्कुलर जारी कर राज्य के सभी अदालतों को यह सुनिश्चित करने कहा है कि आईपीसी की धारा 498 A या सात साल एवं उससे कम की सजा वाले आपराधिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित (अरनेश कुमार बनाम बिहार सरकार) फैसले के तहत दिशा निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य होगा।

    By Arun AsheshEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 20 Sep 2023 07:12 PM (IST)
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    Bihar Police: मनमाने रूप से गिरफ्तारी को लेकर Patna High Court का फैसला। फाइल फोटो

    Patna High Court । प्रत्युष प्रताप सिंह, पटना: पटना हाईकोर्ट ने उच्चतम न्यायलय के फैसले (मो.अस्फ़ाक आलम बनाम झारखंड सरकार) के आलोक में एक महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किया है।

    हाईकोर्ट ने सभी अदालतों को यह सुनिश्चित करने कहा है कि आईपीसी की धारा 498 (A) या सात साल और उससे कम की सजा वाले आपराधिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2014 में पारित (अरनेश कुमार बनाम बिहार सरकार) फैसले के तहत दिशा निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य होगा।

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    बताना होगा- गिरफ्तारी क्यों जरूरी

    इसके तहत राज्य सरकार पुलिस अफसरों को निर्देश दे कि वे मनमाने रूप से 498A या सात साल से कम की सजा वाले आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी नहीं करेंगे।

    उन्हें गिरफ्तारी करने से पहले सीआरपीसी की धारा 41 (A) के तहत कारण वर्णित करना होगा कि आखिर गिरफ्तारी क्यों जरूरी है?

    क्या कहता है हाईकोर्ट का सर्कुलर

    सर्कुलर के मुताबिक, पुलिस अफसरों को सीआरपीसी की धारा 41 (1)(b) (ii) के तहत चेकलिस्ट मुहैया करानी होगी, जिसके तहत वे 'विश्वास करने का कारण' और 'गिरफ्तारी के लिए संतुष्टि' दोनों तत्व का वर्णन करेंगे।

    गिरफ्तारी करने या हिरासत की अवधि बढ़ाने हेतु पुलिस अफसरों को संबंधित मजिस्ट्रेट को सभी कारण वर्णित करते हुए चेकलिस्ट को अग्रसरीत करना होगा।

    मजिस्ट्रेट भी पुलिस रिपोर्ट में वर्णित तत्वों का अवलोकन कर या उससे संतुष्ट होकर ही किसी अभियुक्त की हिरासत के लिए अधिकृत कर सकेंगे।

    गिरफ्तार न करने का भी बताना होगा कारण

    किसी भी अभियुक्त को गिरफ्तार न करने का कारण भी पुलिस को संबंधित मजिस्ट्रेट को मामला दर्ज होने के दो सप्ताह के भीतर भेजना अनिवार्य होगा।

    सीआरपीसी की धारा 41 (A) के तहत केस दर्ज होने के दो सप्ताह के भीतर अभियुक्त की उपस्थिति हेतु नोटिस किया जाना सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।

    अनुपालन न होने पर होगी कार्रवाई

    इन दिशानिर्देशों के अनुपालन नहीं किये जाने पर सम्बंधित पुलिस अफसर विभागीय कार्रवाई एवं अदालती आदेश की अवमानना के हकदार होंगे।

    सर्कुलर में यह भी सपष्ट किया गया है कि यदि कोई मजिस्ट्रेट बिना किसी कारण वर्णित किये गिरफ्तारी अधिकृत करते हैं तो वे भी हाईकोर्ट द्वारा विभागीय कार्रवाई के हकदार होंगे ।

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